महामारी के कष्टतर समय पर आर्यों से अपील"






महामारी के कष्टतर समय पर आर्यों से अपील"



 


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अर्थात स्त्री-पुरुषों आर्यों का तन-मन-धन सदैव परोपकार के लिए होता है। हमारा गौरवशाली प्राचीन इतिहास बताता है कि हमारे श्रेष्ठ पूर्वज वास्तव में ऐसे थे। ऋषि दयानंद जी तो लिखते हैं कि (जिस देश की मिट्टी से अपना शरीर बना और पालन होता है उस देशवासियों की सेवा करना हम सब का मुख्य उद्देश्य है।)और स्वतन्त्रता सेनानी भी इसी भावना में ओत- प्रोत होकर अपने अन्य देशवासियों के लिए हंसते हंसते नाना प्रकार के कष्ट सह जाते थे, यहां तक कि फांसी के फंदे पर भी जयघोष करने की हिम्मत रखते थे।
आज कोरोना महामारी के प्रकोप से हमारा सारा समाज आतंकित है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है।कातर दृष्टि से दुःखों के तारणहार आर्यों की प्रतीक्षा कर रही है। उनके संताप हरने का पुनीत अवसर मिल रहा है। कोई दुर्भाग्यशाली आर्य ही इस आपत्ति काल में निष्क्रिय रह सकता है।
इस आपदा को ध्यान में रखते हुए आर्य सेवा संयोजन परिषद का गठन आर्य महासंघ ने किया है और प्रत्येक जनपद के आर्यौं से व अन्य देशभक्त लोगों से आह्वान किया है कि क्षुद्र स्वार्थों को छोड़ परमार्थ सेवा के लिए आगे आएं।अपना, स्थान, आयु, संपर्क सूत्र आदि विवरण सहित अपने जनपद के आर्य प्रमुखों को सूचित करें। ताकि योजना बद्ध तरीके से उपकार के इस कार्य को आरम्भ किया जा सके।
विलम्ब न हो। शीघ्र अतिशीघ्र सम्पर्क करें। अवसर निकल गया और फिर त्रासदी झेलनी पड़ी तो हाथ मलने के अतिरिक्त हमारे पास कुछ नहीं बचेगा। आर्यों आगे आओ।आज सायं काल तक संपर्क स्थापित करो।


 






 

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