ज्योतिष का प्रथम ग्रन्थ *सूर्य सिद्धान्त

*ओ३म*


ज्योतिष का प्रथम ग्रन्थ *सूर्य सिद्धान्त* जिसके रचियता थे *मय विश्वकर्मा*
आर्य समाज के विद्वान सन्यासी गुरुकुल झज्जर के आचार्य स्वामी ओमानन्द कृत पुस्तक *हरियाणा के वीर यौधेय*  नामक इतिहास प्रथम खण्ड पृष्ठ 16 पर स्वामी जी लिखते हैं कि सूर्य सिद्धान्त जो गणित ज्योतिष का सुप्रसिद्ध ग्रन्थ है जिसके रचियता मय विश्वकर्मा है।
 *अल्पावशिष्टे तु कृतयुगे मयो नाम महा सुर:।*
अर्थात- सतयुग (जिसे कृतयुगे भी कहते हैं) का जब कुछ समय बचा हुआ था तब मय नामक महा विद्वान ने यह ज्योतिष ग्रन्थ बनाया। इसका अर्थ हुआ आज से 21 लाख, 65 हजार और 119 वर्ष पुराना यह ग्रन्थ है।। इस सूर्य सिद्धान्त ग्रन्थ के आधार पर ही समय-२ पर अन्य ज्योतिष गर्न्थो की रचना हुई है। एक विदेशी विद्वान Mr. Kont के अनुसार:-
Hindu Astronomy was very far advanced even at the beginning the Kalyug about 5000 years ago.
Dr. Sir william Hunter  ने कहा है कि:
The Astronomy of the Hindus has formed in the subject of the excessive admiration.
   अतः उपरोक्त प्रमाणों से सिद्ध होता है कि आर्यों का ज्ञान कितना उच्च कोटि का रहा है।


 


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