aaj ka mantra
श्रिये ते पादा दुव आ मिमिक्षु-
र्धृष्णुर्वज्री शवसा दक्षिणावान्।
वसानो अत्कं सुरभिं दृशे कं
स्वर्ण नृतविषिरो बभूथ।।
--- ऋग्वेद ६.२९.३.
तेरे श्रीचरणों में
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तेरे श्रीचरणों में मेरी पूजा समर्पित है,
तू समर्थ है रिपुओं का दमन करने में।
तू वह सब दे देता है हमें
जिसके याचक हैं हम।
तू नृत्य करता है
तो ब्रह्मांड नाच उठता है
और तेरा आभामंडल
कवच बन कर ढँक लेता है हमें।
हे दाता !
तू सूर्य की तरह हमारा पथ-प्रदर्शक,
तू ही आनंदमय,
तेरा ही दर्शन मंगलमय।