धर्मपूर्वक धन कमाओ

                                   
धर्मपूर्वक धन कमाओ


हमारे शास्त्र कहते हैं―
अन्यायेनागता लक्ष्मी खद्योत इव दीप्यते ।
क्षणं प्रकाश्य वस्तुनि निर्वाणे केवलं तम: ।।
अन्याय से कमाया हुआ धन जुगनू की भाँति चमकता है परन्तु थोड़ी देर प्रकाश कर पुन: अन्धकार-ही-अन्धकार का साम्राज्य हो जाता है।


अत: मनुष्य को चाहिए―


अकृत्वा परसन्तापमगत्वा खलनम्रताम् ।
अनुत्सृज्य सतां मार्गं यत्स्वल्पमपि तद्बहु ।।
भावार्थ―किसी को कष्ट न देकर, दुर्जनों के सामने न झुककर और सन्मार्ग को न छोड़कर जो थोड़ा भी कमाया जाता है वही बहुत है।


वेद धन कमाने के लिए निषेध नहीं करता। धन कमाओ, परन्तु धर्म एवं न्यायपूर्वक


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