विचारो का टकराव
संसार में कोई भी दो व्यक्ति ऐसे नहीं मिलते, जिनके विचार 100% एक समान हों। लोगों के विचार कहीं 50% मिलते हैं, कहीं 60%, कहीं 70%, और बहुत करें तो 80% तक भी मिल सकते हैं. परंतु 10/20% तो विचारों में टकराव होता ही है।
इसका कारण है कि सबके पूर्व जन्मों के संस्कार अलग-अलग हैं। वर्तमान जीवन में उनके माता-पिता का प्रशिक्षण अलग-अलग है। उनका रहने का स्थान, पास पड़ोस, भोजन इत्यादि सब अलग-अलग है। प्रत्येक व्यक्ति की शरीर की स्थिति भी अलग अलग है; इत्यादि कारणों से व्यक्तियों के विचारों में, स्वभाव में अंतर आ ही जाता है। जब दो व्यक्तियों में किसी क्षेत्र में विचार नहीं मिलते और टकराव होता है, तब प्रायः वे दोनों व्यक्ति अपने आप को सही सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। यह ठीक नहीं है।
क्योंकि मनुष्य अल्पज्ञ है, वह गलती कर सकता है। अगर कोई मनुष्य गलती कर रहा है या कर चुका है, तो जैसे तैसे करके उस गलती को सही साबित न करें । बल्कि इस पर विचार करें कि क्या सही और क्या गलत है? जो विचार सही है उसकी खोज करें, न कि दोनों में से कौन व्यक्ति सही है। क्यों? क्योंकि व्यक्ति से विचार का मूल्य अधिक है। विचार तो सदा रहेंगे, व्यक्ति सदा नहीं रहेगा। विचारों से लाभ होता है, व्यक्ति से नहीं। इसलिये व्यक्ति की तुलना में विचार अधिक महत्त्वपूर्ण है । संसार सत्य विचारों पर चलता है क्योंकि विचार ही सुखदायक होते हैं। इसलिए स्वयं को सही सिद्ध न करें, अपने विचार को प्रमाण और तर्क से सही सिद्ध करें, यदि वह सत्य हो, तो। इससे सबको लाभ होगा