वेनेजुएला के बारे में
वेनेजुएला के बारे में
गूगल पर भारतीय रुपये को वेनेजुएला की करेंसी को कन्वर्ट करके देख ले । भारतीय ₹50/- के मूल्य वेनेजुएला की 177938/- आज मिलेगी । इसका कारण मुफ्तखोरी ही रहा ।
वेनेजुएला में भी एक फ़्री में सारी चीजें बाँटने वाला नेता था, प्रेज़िडेंट ह्यूगो शावेज़, जिसने वहाँ की जनता को मुफ्तखोर बनाकर देश को बर्बाद और दिवालिया कर दिया।
दुनिया में सबसे सस्ता पैट्रोल वेनेज़ुएला में मिलता था, 64पैसे/लीटर
वेनेज़ुएला में 5-6 वर्ष पहले तक किसी तरह का कोई टैक्स नहीं था, वहां शुरु से अन्त तक पूरी पढ़ाई मुफ्त,हर तरह की मैडिकल मदद पूरी तरह से मुफ्त,बिजली मुफ्त,पानी मुफ्त,लोकल ट्रांसपोर्ट मुफ्त थी.....जैसे अब दिल्ली मे है।
वहां हर व्यक्ति को नौकरी,और नौकरी न होने की स्थिति में पर्याप्त बेरोजगारी भत्ता, और प्रत्येक नागरिक को एक निर्धारित मासिक भत्ते का सरकारी लालीपॉप थमा दिया था।
सरकार केवल तेल बेचकर इन सब खर्चों की पूर्ति करती रही, वेनेज़ुएला में जीवन गुज़ारना वहां के नागरिकों के लिए एक जीवन भर की मौज मस्ती थी।
और आज, वर्तमान समय के हालात इतने बुरे हैं कि दुनिया को सबसे अधिक विश्वसुन्दरी देने वाले देश की बेटियां जो कल तक अपने देश में पुलिस ऑफिसर, प्रोफेसर, अध्यापिका, नर्स, अखबार की रिपोर्टर आदि बतौर सम्मानजनक नौकरियां कर रही थीं,आज पड़ोसीदेश कोलम्बिया जाकर 10-10 अमेरिकन डॉलर के लिए अपना शरीर बेचने को मजबूर हो गयी है।
ताकि अपने देश में छूट गये मां बाप, या भाई बहन, या पति व बच्चों के लिये महीने में 500-600 अमेरिकन डॉलर भेज सकें।
आखिर ऐसा क्या हुआ ...कि 5-6 वर्ष पहले का स्वर्ग इतनी जल्दी वहां के लोगों के लिए नरक बन गया?
जवाब बहुत साफ है, वेनेज़ुएला में पिछले लम्बे समय से वामपंथी सरकारों का ज़ोर चल रहा था, भ्रष्टाचार चरम पर था,खर्चे व सब्सिडी भयंकर थीं, तेल उत्पादन के अलावा किसी भी दूसरे उत्पादन पर किसी तरह की कोशिश की ही नहीं जा रही थी, भ्रष्टाचार और सब्सिडी की वजह से वेनेजुएला का खज़ाना लगभग खाली था।
और इसीलिए 2014 में अचानक ही वेनेज़ुएला में हर चीज दिन दुगनी, रात चौगुनी मंहगी होती गई।
आज इतनी मंहगाई है ..कि एक महीने की सैलरी से सिर्फ एक पैकेट पास्ता खरीदने के अलावा कुछ नहीं कर सकते।
वेनेजुएला की मुद्रा,बोलिवर है और इसका सबसे बड़ा नोट एक लाख बोलिवर का है।
मगर बाजार में इसकी कीमत कुछ भी नहीं। वेनेजुएला में अब एक लाख बोलिवर में कुछ नहीं खरीदा जा सकता।
जब तक वेनेजुएला में तेल बेच-बेचकर पैसा आ रहा था और शावेज (वेनेजुएला का केजरीवाल)।
जनता पर पैसा बरसा रहे थे, तब तक सब ठीक था, हालांकि, अर्थशास्त्री तब भी' शावेज की सोशलिस्ट (मुफ्तखोरी) पॉलिसी को खतरा बता रहे थे, लेकिन तब सबके कानों में मुफ्तखोरी का तेल पड़ा हुआ था।
🔸औरतें अपने बाल बेचकर पैसे इकट्ठा कर रही हैं।
🔸आज यहां 5 में से 4 लोग गरीब हैं।
🔸होटल-रेस्ट्रॉन्ट में लोग अपना बैंक बैलेंस दिखा रहे है कि उनके पास पेमेंट करने के लिए पैसे हैं।
🔸राशन लेने के लिए लोग घंटे कतार में खड़े होते हैं।
🔸गोदामों के बाहर सैनिक तैनात रहते हैं।
🔸बेरोजगारी बढ़ने से अपराध में तेजी से इजाफा हो रहा है।