वेदमंत्र(यदावश्चक्षसा सूर्यस्य)

वेदमंत्र(यदावश्चक्षसा सूर्यस्य)


उषो यदग्निं समिधे चकर्थ वि यदावश्चक्षसा सूर्यस्य।
यन्मानुषान्यक्ष्यमाणाँ अजीगस्तद्देवेषु चकृषे भद्रमप्नः॥


       हे उषा, तुम पवित्र अग्नि को प्रज्वलित करती हो। सूर्य के प्रकाश से समस्त जगत को प्रकाशित करती हो। तुम यज्ञ करने वाले मनुष्यों को जगाती हो और उन्हें दूसरों के हित के शुभ कार्य करने के लिए प्रेरित करती हो। तुम कल्याणकारी हो।


      O Usha, you cause the holy fire to be kindled.  You illuminate the whole world with the light of the sun. You awaken the people who perform the yajna and inspire them to do auspicious deeds for the benefit of others.  You are benevolent. 


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।