वेदमंत्र(इदं श्रेष्ठं ज्योतिषां ज्योतिरागाच्चित्रः)

 वेदमंत्र(इदं श्रेष्ठं ज्योतिषां ज्योतिरागाच्चित्रः)


इदं श्रेष्ठं ज्योतिषां ज्योतिरागाच्चित्रः प्रकेतो अजनिष्ट विभ्वा ।
 यथा प्रसूता सवितुः सवायैवा रात्र्युषसे योनिमारैक् ।। 


       अंधेरी रात  उषा के लिए स्थान रिक्त करती है, और उषा उत्कृष्ट प्रकाश ,सूर्य, के लिए स्थान रिक्त  करती है। उसी प्रकार ज्ञान ज्योति अज्ञानता के अंधकार को चीरती है, और ज्ञान ज्योति  दिव्य परमात्मा ज्योति को स्थान देती है। 


      The dark night gives way to the dawn and dawn to the excellent light, the sun. Similarly, the darkness of the ignorance gives way to the light of knowledge and light of knowledge to the light of lights, the divinity of the God. 


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