वेद मंत्र
सन्तुष्टो भार्यया भर्त्ता भर्तरा भार्य तथैव च। यस्मिनैव कुले नित्यम कल्याणं तत्र वै ध्रुवम।।
मनुस्मृति
भावार्थ- जिस कुल में पति पत्नी से और पत्नी पति से सदा प्रसन्न रहती हैं, उस कुल में निश्चय ही सदा कल्याण होता है।