सोनांचल

सोनांचल 


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सोनभद्र में जो सोने का भंडार मिला है उसका संबंध रामायण काल से है।श्री राम ने वनवास का बहुत समय सोनभद्र और मिर्ज़ापुर के जंगलो में बिताया था ये विंध्याचल के हिस्सा थे यहीं पर विंध्यवासिनी देवी का मंदिर है जिसका संबंध रामायण से है। रामायण में उल्लेख है की राम जब यहां थे तो धरती और पर्वतो ने मणियों और रत्नो को उपजा पर श्री राम ने इसका उपयोग नही किया। इस तथ्य को तुलसीदास ने भी प्रकट किया है:-


प्रगटीं गिरिन्ह बिबिधि मनि खानी, जगदातमा भूप जग जानी।
सरिता सकल बहहिं बर बारी, सीतल अमल स्वाद सुखकारी॥


समस्त जगत के आत्मा भगवान राम को राजा जानकर पर्वतों ने अनेक प्रकार की मणियों की खानें प्रकट कर दीं। सब नदियाँ श्रेष्ठ, शीतल, निर्मल और सुखप्रद स्वादिष्ट जल बहाने लगीं।


सोन पहाड़ी जिस पर 2900+ टन का भंडार मिला है वो शिव पहाड़ी और हरदी block जिसमें 650+टन का भंडार है वो सीता-राम चरण के नाम सर स्थानिय लोगो में हजारो बर्षो से आस्था का केंद्र हैं। सोनभद्र में सोना दबे होने की जानकारी स्थानिय लोगो को हजारो वर्षो से है। इसी कारण सोनभद्र का प्राचीन नाम "सोनांचल" पड़ा था और बाद में सोनभद्र हो गया। जिसका अर्थ है सोन= सोना और भद्र= घाटि यानी सोने की घाटी।


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