सत्यार्थ प्रकाश


आपके परिवार का सुरक्षा कवच है -- "सत्यार्थ प्रकाश"।


राहु, केतु, शनि, मंगल, भूत, प्रेत, चुड़ैल, जिन्न,निंड, मुंड, पिशाच,पीर ,मजार,ओपरा असर, डोरे, काले हरे धागे,  गंडे, ताबीज, पोथी पत्रा,लाल किताब, हरा किताब,  तांत्रिक, अंडे-पण्डे, मुल्ला-मौलवी, आदरी-पादरी, उलूल, जुलूल,करा कराया, काले कपड़ों वाले , धूर्त, ठग,  बकवास  आदि आदि सब इस पुस्तक से दूर भागते हैं।


अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जल्दी से मंगाएं और शुरू से ही पढ़ना शुरू करें, कई बार पढ़ें। और हाँ,  किसी माँ बहन की कोई चोटी भी नहीं काट पायेगा,  कोई लव जिहाद व धर्मांतरण का शिकार भी न हो पायेगा ।


क्या है सत्यार्थ प्रकाश ?


क्यों पढ़े सत्यार्थ प्रकाश ?


ऐसा क्या है इस सत्यार्थ प्रकाश में कि :-
1. जिसे पढ़कर बड़े- बड़े *मौलवी भी आर्य बन गए जैसे वर्तमान में महेन्द्रपाल आर्य जोकि बडोत में फारसी भाषा के विद्वान मौलवी थे आज जाकिर नायक भी इनसे डिबेट करने से कतराता है।
2. जिसे पढ़ कर *फरहाना ताज दुबई छोड़ के भारत आ गयीं और मुस्लिमो में आर्य समाज वैदिक धर्म का प्रचार कर रही हैं 


3. जिसे पढ़ कर लाला लाजपत राय ने वकालत छोड़ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में पूरा जीवन लगा दिया


4. जिसे पढ़ कर पंडित लेखराम ने अपने मरते हुए बच्चे को भी छोड़ कर , मुस्लिम होने जा रहें लोगो को बचाने निकल पड़े और ट्रेन न रुकने पर उसमे से छलांग लगा दी और उन्हें मुस्लिम होने से बचा लिया


5.  जिसे पढ़कर  पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी जो उस समय जगदीश चन्द्र बसु के अलावा  विज्ञान के इकलौते प्रोफेसर थे को ऐसा पागल कर दिया कि वे अपने शरीर पर आर्यसमाज के नियम के लिखे कपड़े को पहन कर नुक्कड़ों पर सत्यार्थ प्रकाश बांटा करते थे


6.  जिसे पढ़ कर राम प्रसाद बिस्मिल जोकि एक जमाने में बुरे व्यसनों में फंसे थे सच्चे देश भक्त बन गए और पिता जी के कहने पर कि :-
आर्यसमाज छोड़ दे या मेरा घर छोड़ दे तो तत्काल घर छोड़ कर चल दिए पिता जी ने कहा ये कपड़े भी मेरे दिए हैं तो उन्हें भी उतार कर बन्डी में ही चल दिए


7.  जिसे पढ़ कर व्यसनी मांसाहारी मुंशीराम बदल गए और सन्यासी श्रद्धानन्द बनकर अंग्रेजो की गोलियों के आगे सीना तान के खड़े हो गए और दिल्ली आगरा के लगभग  सवा तीन लाख मुसलमानो को शुद्धि आंदोलन से फिर से आर्य हिन्दु बना कर कट्टर मुस्लिम की गोली खा कर शहीद हो गए


8.  जिसे पढ़ कर वीर सावरकर ने कहा कि जब तक ये पुस्तक भारतीयों के पास है तब तक कोई विधर्मी अपने मत की शेखी नहीं बघार सकता


9.  जिसे पढ़ कर भगतसिंह के दादा अर्जुनसिंह कट्टर आर्यसमाजी हो गए और अपने सब बेटों को देशभक्त बना गए और देश को भगत सिंह जैसा वीर दे गए


10.   योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि जब भी किसी मुसलमान की सनातन धर्म में वापसी करानी होती है, मैं उसे पढने के लिए "सत्यार्थ प्रकाश" देता हूँ। 
11.  जिसे पढ़ कर आज भी कुछ लोग रात रात भर जागकर हिन्दुओं को जगाने के लिए वैदिक सिद्धांत समझाने के लिए तत्पर रहते हैं ।


तो मित्रों सोचिये ऐसा क्या है इस ग्रन्थ में, यदि जानना चाहते हो तो इसे एक बार पढ़ के देखो।


ये आपको कहीं भी आर्य समाज में मिल जायेगा अथवा प्ले स्टोर से इसे डाउनलोड कर सकते हैं ये ऑडियो में भी उपलब्ध है या "एप" के रूप में भी डाउनलोड कर सकते हैं ।


संसार के हम सभी मनुष्यों के एकमात्र धर्म सत्य सनातन वैदिक धर्म के सभी सत्य का ज्ञान कराने वाले इस आर्ष ग्रंथ "सत्यार्थप्रकाश" के लिए  विभिन्न लोगों के मत -


पौराणिक पंडित --- सत्यार्थ प्रकाश कभी मत पढ़ना भाई ! नहीं तो पाप लगेगा, मुल्ले बन जाओगे,अवतारों से देवी देवताओं से विश्वास उठ जाएगा और नास्तिक बन जाओगे।


पादरी--- सत्यार्थ प्रकाश मत पढ़ना। दिमाग उलट जाएगा। पढ़ने की वस्तु नहीं वह। फिर यीशु परमेश्वर गलत लगने लगेगा।


मौलवी --- सत्यार्थ प्रकाश मत पढ़ना। सुना है जो पढ़ता है वह काफिर बन जाता है। कुरान में गलतियाँ नजर आने लगती हैं।आर्य समाजी लोग सबसे बड़े काफ़िर है हमारे अल्लाह के लिए मत पढ़ना।  हम जो कहते हैं बस वही पढ़ो।


वाममार्गी- जिसमें वामपंथी, महावीर,बुद्ध, अम्बेडकरवादी, ओशोवादी,रामपपालिये राधास्वामी, ब्रह्मकुमारी आदि आते हैं, का भी यही कहना है कि सत्यार्थप्रकाश मत पढ़ो क्योंकि इसे पढ़कर तुम वेदों को ईश्वरीय मानने लग जाओगे और यज्ञादि कर्मकाण्डों में उलझ कर अपने जीवन का कीमती समय व कीमती घी को बर्बाद करने लगोगे। 


वैदिक धर्मी आर्य-  भाई ! तन्त्र,पुराण,कुरान,सत्यार्थप्रकाश, उपनिषद सब पढ़कर देख लो जो बुद्धि के अनुकूल हो तर्क संगत लगे उसे मान लेना। कोई जबरदस्ती नहीं। हमें बुद्धि मिली है, सोचने, विचारने के लिए। आँख मूंद कर बात मानने के लिए नहीं। भाई ! वास्तिवकता तो यह है कि :-
सत्यार्थप्रकाश में एक ओर वेदों उपनिषदों, दर्शनों का सरल भाषा में सार है तो दूसरी ओर तन्त्र, पुरान, कुरान, बाईबल व जैन बौद्ध आदि अनार्ष ग्रन्थों की पोल खोली गई है जिस कारण ये सब लोग घबराते हैं, सत्यार्थप्रकाश को कचरा बताते हैं, उसे पढ़ने को मना करते हैं और यज्ञ जैसी उपयोगी व वैज्ञानिक प्रक्रिया को तो ये लोग जानना ही नहीं चाहते।


 


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