सस्ते लोग और महंगे लोग का तात्पर्य


      आपके जीवन में कुछ सस्ते लोग भी होते हैं और कुछ महंगे भी। सस्ते लोग कहने का तात्पर्य है कि छोटी सोच वाले स्वार्थी लोभी लालची धोखेबाज लोग। और महंगे लोग कहने का तात्पर्य है, जो अच्छे बुद्धिमान धार्मिक पढ़े-लिखे समझदार विश्वासपात्र ऐसे लोग। तो जो महंगे लोग हैं, जो अच्छे व्यक्ति हैं, वे तो अच्छा व्यवहार करते हैं, सुख देते हैं, उनके साथ लेन-देन व्यापार व्यवहार करने  की आपकी भी इच्छा रहती है। वे तो ठीक हैं, उनसे कोई शिकायत या समस्या नहीं है।


        परंतु जो सस्ते लोग हैं, झूठे छली कपटी बेईमान लोग हैं, वे लोग जब आपको धोखा देते हैं, तब आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है। क्या सीखने को मिलता है? यही, कि सब पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। सौ प्रतिशत किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए। यह उनसे विश्वास उठने के बाद उनसे सीखने को मिलता है। तो इसलिए वे लोग जब आपको धोखा देते हैं , तब आप सावधान हो जाते हैं, धोखा खाकर सीख जाते हैं कि अब ऐसे लोगों से संबंध नहीं रखना।
इस तरह की आपको शिक्षा देकर, वे आपके जीवन से विदा हो जाते हैं।


       चलो, कोशिश तो यही करनी चाहिए कि अच्छे बुद्धिमान धार्मिक लोगों से ही संबंध रखें। फिर भी सबके चेहरे पर तो लिखा नहीं कि कौन धोखेबाज है या ईमानदार है। यह तो धीरे-धीरे व्यवहार से ही पता चलता है, कि कौन सस्ता है और कौन मँहगा! जो भी हो, ऐसे सस्ते लोगों से भी जो महंगी शिक्षा मिलती है, वह फिर जीवन भर काम आती है। इसलिए प्रयास तो यह करें कि बुद्धिमत्ता से लोगों का परीक्षण करें , तभी उन पर विश्वास करें। फिर भी यदि कभी भूल चूक हो जाए तो उसका ज्यादा दुख न मनाएँ। बल्कि सावधान रहने का एक अनुभव प्राप्त हुआ, ऐसा मानकर भविष्य में ऐसे लोगों से सावधान और सुरक्षित रहें।


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