सही निर्णय की जरूरत

कुछ सड़कें सीधी होती हैं, जिन पर चलना सरल होता है। कुछ सड़कें ऊंची नीची होती हैं, जिन पर चलना कठिन होता है। सड़क  अथवा कोई स्थान ऊंचा नीचा होने के कारण कभी-कभी व्यक्ति का शरीर पर नियंत्रण नहीं रह पाता , और वह गिर पड़ता है । तब प्रायः लोग अपनी लापरवाही का दोष स्वीकार नहीं करते, बल्कि सड़क या उस उस ऊँचे नीचे स्थान को दोष देते हैं।
मोटे तौर पर तो यह ठीक लगता है, कि सड़क या स्थान ऊँचा नीचा था, जिसके कारण वह व्यक्ति गिर गया। 
परंतु यदि गहराई से विचार करें, तो पता चलेगा कि संसार में सारी सड़कें एक सपाट नहीं होती, या सभी स्थान एक जैसे समतल नहीं होते। उसके बाद भी हमें वहां चलना तो पड़ता ही है। अब सड़क या स्थान तो जड़ वस्तु है। वह तो हमारे बारे में कुछ समझता नहीं। आप और हम चेतन हैं । उस स्थान को के ऊंचे नीचेपन को हम समझते हैं। तो हमें ही सावधानी बरतनी होगी।
 यदि आप हम ऐसे ऊंचे नीचे स्थान पर गिर पड़ते हैं, तो दोष उस स्थान या सड़क को न दें, बल्कि अपना दोष स्वीकार करें, कि मैं सावधानी से नहीं चल पाया, मैंने लापरवाही की, जिसका परिणाम यह हुआ कि मैं गिर पड़ा। 
इसी तरह से जीवन में भी अनेक अवसरों पर जब जब आप गलत निर्णय लेते हैं, तब तब दूसरों को दोष न दें , बल्कि अपना दोष स्वीकार करें। इससे आप भविष्य में सावधान रहेंगे। भविष्य में होने वाली गलतियों से बच पाएंगे, सही निर्णय लेंगे, सही काम करेंगे, और आपका जीवन सुखमय बनेगा।


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