प्रार्थना
प्रार्थना
हे विधाता!
जैसे साबुन से कपड़ा साफ होता है। पानी से शरीर साफ होता है ।उसी तरह सत्संग से (अर्थात झूठ, छल, धोखा, घमंड, दंभ, चालाकी, क्रूरता, निर्लज्जता, वैर, कपट, आदि छोड़कर__ त्याग, तपस्या, और प्रेम,सच्चाई का रास्ता अपनाने से मन शुद्ध होता है। और मन के शुद्ध होने से आत्मा शांति महसूस करती है। हे प्रभु! हमें इस योग्य बनाओ कि हम सत्संग, सत्संग और सत्संग में रहें! यानि नाचने, कूदने, उछलने, गाने, का नाम ही सत्संग नहीं है। अपने दोष देखकर, उन्हें दूर करना सत्संग कहलाता है।