मनुष्य के लक्ष्ण

 जो आत्माएँ आज मनुष्य शरीर में है, उन्होंने  पिछले जन्मों में अच्छे काम अधिक किए हैं। इसलिए ईश्वर ने मनुष्यों को अन्य प्राणियों की तुलना में कुछ विशेष सुविधाएं दी हैं। 
उन सुविधाओं में एक है - बुद्धि। दूसरी - भाषा। तीसरी - कर्म करने की स्वतंत्रता । चौथी - कर्म करने के लिए दो हाथ। पाँचवीं - चार वेदों का ज्ञान । और छठी - मुस्कुराहट। जैसी बुद्धि मनुष्यों के पास है, ऐसी और किसी प्राणी के पास नहीं है। इसी प्रकार से भाषा , तथा कर्म करने की स्वतंत्रता भी मनुष्य जैसी किसी के पास नहीं है।
ईश्वर ने पांच सात प्राणियों के पास मनुष्यों जैसे हाथ दिए हैं, जैसे कि बंदर लंगूर चिंपांजी इत्यादि। परंतु हाथ होते हुए भी बुद्धि के अभाव में ये प्राणी अपना कुछ विशेष कार्य नहीं कर पाए। ऐसे ही चार वेदों का ज्ञान भी मनुष्यों के पास है, इतना ज्ञान भी और किसी प्राणी के पास नहीं है। और सबसे बढ़िया, व्यवहार में जो काम आती है, वह सुविधा है - मुस्कुराहट।
 सिर्फ मनुष्य ही मुस्कुरा सकता है, खुलकर हंस सकता है। बाकी प्राणी तो प्रायः ऐसे हंसते हुए नहीं दिखते।
 जब इतनी अच्छी सुविधा है, हंसने की, मुस्कुराने की,  जिससे व्यक्ति स्वयं भी प्रसन्न रहे, और उसे देखने वाला भी प्रसन्न हो जाए। तो ऐसी सुविधा का लाभ क्यों न लिया जाए। तो कृपया तनाव में ग्रस्त न रहें, हंसे हंसाएँ,  मुस्कुराएँ। स्वयं प्रसन्न रहें तथा दूसरों को भी प्रसन्न बनाएं। जीवन का आनंद लें। - स्वामी विवेकानंद परिव्राजक


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