मन की प्रसन्नता के 7 महामंत्र

मन की प्रसन्नता के 7 महामंत्र                                               


श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के साथ-साथ हम सबको प्रसन्नता के 7 महामंत्र दिए हैं। यह महामंत्र निम्न प्रकार से हैं :--


1--भयमुक्त हो जाएँ :— 


मृत्यु के भय का त्याग करें क्योंकि आप यह देह नहीं बल्कि आत्मा हो और आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है। मृत्यु तो केवल इस देह के वस्त्र बदलने की एक प्रक्रिया का नाम है।


2--खालीपन से मुक्त हो जाओ — 


स्वयं को हमेशा किसी ना किसी कर्म में लगाए रखें और कभी भी उदासीन न रहें।


3--सबकी दुआएं लें :— 


अपने सभी कर्मों में से फल की आसक्ति का त्याग कर उन्हें केवल लोक कल्याण की भावना से ही करें।


4--संशय बुद्धि बनने से बचें :— 


संशय करने वाला व्यक्ति कहीं पर भी प्रसन्न नहीं रह पाता है। इसलिए इस संशय करने की बुरी आदत का त्याग कर अपने अंदर आत्मविश्वास की भावना पैदा करें।


5--भौतिक विषयों की आसक्ति का त्याग करें — 


सच्ची प्रसन्नता और आनंद केवल आत्मा में ही रमण करने से मिलता है। इसलिए अपनी इंद्रियों को सब प्रकार के विषयों से हटाकर अपनी चेतना को अपनी चेतन शक्ति आत्मा में स्थित करने के लिए प्रतिदिन योग अभ्यास करें।


6--अपने अंतर से समर्पण का भाव पैदा करें :— 


अपने जीवन का हर कार्य भगवान को समर्पित कर दो और उसके अच्छे-बुरे फलों को भगवान की इच्छा जानकर प्रसन्नता से स्वीकार करें।


7 --अपना जीवन भगवद् भक्ति में लगाएँ : — 


जो भक्त अनन्य भाव से भगवान की शरण को ग्रहण कर उन परमात्मा की उपासना करते हैं भगवान उन्हें इस दुखमय संसार से शीघ्र मुक्ति का सहज मार्ग प्रशस्त करते हैं।


निष्कर्ष : इन 7 महामंत्रों का यदि कोई व्यक्ति पूरी निष्ठा के साथ अपने जीवन में प्रयोग करता है तो वह अपने जीवन में सच्ची और स्थाई आनंद का अनुभव कर सकता है।


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