महर्षि दयानंद सरस्वती

गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार के संस्थापक, महर्षि दयानंद सरस्वती के अनन्य भक्त, आर्य सभ्यता संस्कृति के रक्षक, प्रसिद्ध शिक्षा विद, दुखियों, दलितों के उद्धारक अमर शहीद स्वामी श्रद्धानंद जी सरस्वती एक ऐसे वीर योद्धा सन्यासी थे जिसने अंग्रेजों के शासन काल में देश की स्वतंत्रता और भारतीय शिक्षा के लिए अंग्रेजों के साथ लड़े, अंग्रेजों के संगीनों के सामने उन्होंने अपनी छाती को खोल कर ललकार की थी कि "बंदूक चलानी है तो सबसे पहले बंदूक की गोली मेरी छाती पर ही चलानी होगी !" वे मुसलमानों से भो डटकर लड़े, उनसे लड़ने का प्रमुख कारण था जबरन धर्म परिवर्तन ! 
विधर्मी जब ज़बरन हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करा के उनको मुसलमान बनाया करते थे उस समय उन्होंने अपने जीवन काल में अनेक असहाय, अन्याय से पीड़ित लाखों लोगों का पुनः शुद्धिकरण करा वापस अपने धर्म में मिलाने का पुण्य कार्य किया और वे अत्यंत सफल भी रहे ! वे पहले एक ऐसे वीर सन्यासी थे जिन्होंने अपने काल में वेद, उपनिषद दर्शन आदि शास्त्रों पर आधारित प्रसिद्ध गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का भी आरंभ किया ! कट्टरपंथी, धर्मान्ध, भीरु एक मुस्लिम युवक अब्दुल रशीद ने उनकी छाती में छल कपट से गोली मार कर हत्या कर दी थी !
आज उस पुण्य प्रतापी महात्मा के जन्म दिवस दिवस पर हार्दिक नमन व श्रद्धांजलि ।


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