जीरा अद्भुत औषधि

हमारे रसोई घर मे ऋषियों ने वर्षो शोध के बाद 48 औषधियों का प्रयोग बताया है और मात्रा भी तय किया है इनमें से एक है   जीरा । जीरा एक स्वादिष्ट औषधि है।                                                             


जाने इसके गुण और अपने दैनिक जीवन मे इसका उपयोग करेँ !


जीरा भारत में बहुत होता है। यह 3 प्रकार का होता है- सफेद जीरा, शाह जीरा या काला जीरा और कलौंजी जीरा। इनके गुण एक जैसे ही होते हैं। तीनों ही जीरे रूखे और तीखे होते हैं।


जीरा के गुण :


★ जीरा मलावरोध, बुद्धिवर्धक, पित्तकारक, रुचिकारक, बलप्रद, कफनाशक और नेत्रों के लिए लाभकारी हैं।
★ सफेद जीरा दाल-सब्जी छोंकने और मसालों के काम में आता है तथा शाह जीरे का उपयोग विशेष रूप से दवा के रूप में किया जाता है।
★ ओथमी जीरा और शंखजीरा ये 2 वस्तुएं जीरे से एकदम भिन्न है। ओथमी जीरे को छोटा जीरा अथवा ईसबगोल कहते हैं।


जीरा के आयुर्वेदिक नुस्खे :


1. दमा का रोग: दमा होने पर जीरा, कालीमिर्च, नमक और मट्ठा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
2. डकार आना: 1 चम्मच पिसा हुआ जीरा सेंककर, 1 चम्मच शहद में मिलाकर खाना खाने के बाद चाटने से डकारों में लाभ होता है।
3. अम्लपित्त:
• जीरा, धनिया और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में पीसकर मिलाकर 2-2 चम्मच सुबह और शाम भोजन के बाद ठण्डे पानी से फंकी लेने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
• जीरे के 5 ग्राम चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर सेवन करें।
• 1 ग्राम जीरे में 1 ग्राम धनिया मिलाकर, थोड़ी-सी मात्रा में मिश्री मिलाकर लेने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
• जीरा और चीनी को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में दूध के साथ सेवन करें।
• 40 ग्राम सफेद जीरा और 40 ग्राम धनिया लेकर पानी के साथ पीसकर 320 ग्राम घी में मिलाकर पका लें। इस मिश्रण को 6 ग्राम से 20 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से अम्लपित्त की शिकायत मिट जाती है।
• सफेद जीरा, काला जीरा, बच, भुनी हींग और कालीमिर्च को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करें।
4. पेट में दर्द:
• पिसा हुआ जीरा 2 ग्राम को शहद के साथ गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में आराम होता है।
• सफेद जीरा को शराब के साथ पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के दर्द में आराम होता है।
• बारीक पिसा हुआ जीरा 3-3 ग्राम को गर्म के पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से बदन दर्द और पेट के दर्द से छुटकारा मिलता है।
• भुना काला जीरा 120 मिलीग्राम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
5. कब्ज (कोष्ठबद्वता):
• भुना जीरा 120 ग्राम, धनिया भुना हुआ 80 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, नमक 100 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, नींबू का रस 15 मिलीलीटर, देशी खांड 200 ग्राम आदि को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसमें से दो ग्राम की खुराक बनाकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है और भूख बढ़ती है।
• 25 ग्राम काला और सफेद भुना हुआ जीरा, पीपल 25 ग्राम, सौंठ 25 ग्राम, कालीमिर्च 25 ग्राम और कालानमक 25 ग्राम को मिलाकर पीसकर रख लें, बाद में 10 ग्राम भुनी हुई हींग को पीसकर मिला दें। फिर इस बने चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर छोटी-छोटी बराबर गोलियां बनाकर सुखाकर खाना खाने के बाद दो गोलियां खुराक के रूप में सेवन करें। इससे कब्ज दूर होती है।
6. पेट की गैस बनना: जीरा, सोंठ, बच और भुनी हींग को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस बने चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
7. वमन (उल्टी):
• कदम के छाल के रस को अगर जीरे और मिश्री के साथ पिलाया जाए तो उल्टी के साथ-साथ बुखार और दस्त हो तो वह भी ठीक हो जाता है।
• एक चम्मच भुने जीरे के बारीक चूर्ण में एक चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना खाना खाने से बाद लें। इससे उल्टी ठीक होती है।
8. मुंह के छाले: जीरा को भूनकर और सेंधानमक जीरे के बराबर मिलाकर पीस लें। इसे मुंह में लगाने से छाले ठीक होते हैं।
9. दस्त:
• सफेद जीरा के बारीक चूर्ण को आधा से 2 ग्राम की मात्रा में दही के साथ रोजाना 2 से 3 बार खायें। इससे दस्त, भोजन का न पचना और भूख के कम लगने की बीमारी ठीक होती है।
• सेंके हुए जीरे में आधी चम्मच की मात्रा में शहद को डालकर रोजाना 1 दिन में चाटें।
• पतले दस्त होने पर जीरे को सेंक कर, पीसकर आधा चम्मच शहद में मिलाकर 4 बार रोज चाटें।
• खाना खाने के बाद छाछ में सेंका हुआ जीरा, कालानमक मिलाकर पीएं। इससे दस्त बंद हो जाएंगे।
• खाना खाने के बाद छाछ में सिंका हुआ जीरा को काले नमक में डालकर खाने से दस्त में लाभ मिलता है।
• एक चम्मच जीरा, 2 कली लहसुन की पुती, एक चम्मच सोंठ, एक चम्मच सौंफ, 2 लौंग और अनार के फल के 4 दानों को डालकर भूनकर पीस लें, फिर इस बने चूर्ण को आधी चम्मच की मात्रा में एक दिन में 3 बार सेवन करने से दस्त में लाभ मिलता है।
• जीरा और चीनी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर 1 चम्मच की मात्रा में छाछ के साथ पिलाने से अतिसार का बार-बार आना बंद हो जाता है।
10. हृदय की दुर्बलता: जीरा सफेद पिसा 10 ग्राम को 100 ग्राम पानी में रात को भिगोयें। सुबह छानकर इसमें खांड मिलाकर पी लें।
11. चेचक (बड़ी माता): 100 ग्राम कच्चा धनिया और 50 ग्राम जीरा को 12 घंटों तक पानी में भीगने के लिए रख दें। फिर दोनों को पानी में अच्छी तरह से मिला लें और इस पानी को छानकर बोतल में भर लें। चेचक के रोग में बच्चे को बार-बार प्यास लगने पर यही पानी पिलाने से लाभ होता है।
12. तुंडिका शोथ (टांसिल): 3 ग्राम जीरी और 2 ग्राम गेरू को एक साथ पीसकर पानी के साथ गले पर लेप करने से गले की सूजन और दर्द दूर हो जाती है।
13. विसर्प-फुंसियों का दल बनना: गर्म पानी के साथ जीरे को पीसकर खुजली, फुंसी, जलन, दर्द आदि त्वचा के रोगों में लेप करने से लाभ होता है।
14. सफेद दाग:
• 10-10 ग्राम खादिर के वृक्ष की छाल (कत्था के पेड़ की खाल), काला जीरा, हरीतकी को लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इस 3 ग्राम चूर्ण को खादिरसार के साथ भोजन करने के बाद सेवन करने से सफेद दाग नष्ट हो जाता है।
• 3 ग्राम काली जीरी को पीसकर 25 ग्राम शक्कर के साथ खाने से सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।
15. जल जाना: जीरे को पानी के साथ पीसकर जले अंग पर लेप करने से लाभ मिलता है।
16. लिंग दोष: 10-10 ग्राम कपूर, जीरा, जावित्री, लौंग और कपूर सभी को एक साथ पीसकर इसमें 40 ग्राम खांड मिला लें। इसे 5 ग्राम लेकर बासी पानी के साथ सेवन करने से लिंग की इन्द्रियों के दोष दूर हो जाते हैं।
17. कण्ठमाला:
• 50 ग्राम कालीजीरी, 10 ग्राम शुद्ध तेल, 50 ग्राम गन्धक-आंवलासार को पीसकर और कपड़े में छानकर उसमें 30 ग्राम वैसलीन मिलाकर रख दें। इसे कण्ठमाला की बहती हुई गिल्टियों (गांठों में से मवाद बहना) में लगाने से लाभ मिलता है।
• 6-6 ग्राम निर्विषी, काली जीरी और 35 ग्राम अमलतास के गूदा को पीसकर पानी में गर्म कर लगाएं। ऊपर से एरण्ड का पत्ता बांध दें।
18. शरीर में सूजन: जीरा और चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, और 1-1 चम्मच तीन बार फंकी के रूप में रोजाना लेने से सूजन दूर हो जाती है।
19. बच्चों को प्यास अधिक लगना: अगर बच्चे को सिर्फ बार-बार प्यास लगने का रोग हो, तो अनार के दाने, जीरा और नागकेसर को बारीक पीसकर इनके चूर्ण में मिश्री और शहद मिलाकर चटाने से बच्चों की प्यास कम हो जाती है।
20. गला बैठना: आधे से 2 ग्राम सफेद जीरे को रोजाना दो बार चबाने से स्वरभंग (बैठा हुआ गला) ठीक हो जाता है।
21. हिचकी का रोग:
• आधा से 2 ग्राम सफेद जीरा सुबह-शाम घी के साथ सेवन करने से हिचकी की बीमारी दूर होती है।
• जीरे की बीड़ी बनाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
• सिरका में जीरा डालकर उबाल लें। इसे छानकर पीयें। इससे हिचकी में लाभ होता है।
• जीरे और पिप्पली को पीसकर पाउडर बना लें। इसमें थोड़ा मोरपंख भस्म मिला लें। इसे लगभग 2 ग्राम शहद के साथ सेवन करें। इससे हिचकी आना बंद हो जायेगा।
• आधे से 2 ग्राम सफेद जीरा घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है। इसका धूम्रपान भी हिचकी में लाभदायक होता है।
22. पाचनशक्ति: जीरा 10 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम या सज्जीखार 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, मिर्च 10 ग्राम, काला नमक 10 ग्राम, अजमोद 10 ग्राम, हींग 10 ग्राम और हरड 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर बारीक चूर्ण बना लें, इस बने चूर्ण में 40 ग्राम निशोथ मिलाकर 3-3 ग्राम गर्म पानी से दिन में दो बार सेवन करने से पेट की पाचनशक्ति बढ़ती है।
23. मुंह के रोग: मुंह के छाले में काला जीरा, कूठ एवं इन्द्रजौ इन सब को मिलाकर चबाने से मुंह के छाले, मुंह का घाव तथा दुर्गन्ध दूर होती है।
24. मुंह की दुर्गन्ध: जीरा को भूनकर खाने से मुंह व सांसों की बदबू खत्म हो जाती है।
25. गर्भवती स्त्री की उल्टी: जीरे को रेशमी कपड़े में लपेटकर बत्ती बना लें। इसे जलाकर इसका धुंआ सूंघने से पुरानी उल्टी भी बंद हो जाती है।
26. मूत्र के साथ खून आना: सफेद जीरा आधे से 2 ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ पानी में घोंटकर रोज 2-3 बार लेने से लाभ होता है।
27. कान से कम सुनाई देना: थोड़े से जीरे को दूध के साथ फांकने से कम सुनाई देने का रोग दूर हो जाता है।
28. जी मिचलाना: जीरे को नींबू के रस में भिगोकर छाया में सुखा लेते हैं। इसके बाद इसके सेवन से गर्भवती स्त्री का जी मिचलाना बंद हो जाता है।
29. बवासीर (अर्श):
• स्याहजीरा (काला जीरा) का काढ़ा बनाकर इससे बवासीर के मस्से को धोने से बवासीर में लाभ होता है।
• जीरा और मिश्री को कूटकर पानी के साथ खाने से बवासीर (अर्श) के दर्द में आराम रहता है।
• जीरा, सौंफ और धनिया 1-1 चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर आधा पानी खत्म होने तक उबालें, फिर पानी को छानकर उस में 1 चम्मच घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर रोग में आराम मिलता है।
• काली जीरी (काला जीरा) 25 ग्राम को भूनकर उसमें बिना भूनी काली जीरी 25 ग्राम मिलाकर कूट-छान कर चूर्ण बना लें। यह 3 ग्राम चूर्ण रोज सुबह पानी के साथ लें।
30. संग्रहणी: 5 ग्राम जीरा, छोटी हरड़, लहसुन की भुनी हुई पुती तीनों को तवे पर भूनकर पीस लें। इसे गर्म पानी से या मट्ठा (लस्सी) के साथ सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
31. गुर्दे के रोग: काला जीरा 20 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, काला नमक 5 ग्राम पीसकर सिरके में मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम लें।
32. मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां:
• काला जीरा 5 ग्राम, अरण्डी का गूदा 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम तीनों को बारीक पीसकर लेप तैयार कर लें। इसे पन्द्रह दिनों तक पेट पर लेप करना चाहिए। यह उपचार पन्द्रह दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए। इससे मासिक-धर्म खुलकर आने लगता है तथा इससे नसों की पीड़ा भी नष्ट हो जाती है।
• काला जीरा 6 ग्राम, दालचीनी 6 ग्राम, सोंठ, चित्रक (चीता), सौंफ 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर 100 मिलीलीटर में उस समय तक उबालें जब 25 मिलीमीटर की मात्रा में शेष रह जाए। इसे 30 से 50 मिलीमीटर की मात्रा में दिन में दो-तीन बार सेवन करने से मासिक-धर्म में दर्द नहीं होता है।
33. आंव रक्त (पेचिश): 3 ग्राम काला जीरा और अनार के पत्तों को पानी में डालकर पीने से खूनी पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
34. अग्निमान्द्य (हाजमे की खराबी):
• 10 ग्राम जीरा, 10 ग्राम सोंठ, 15 दाने पीपल और 20 दाने कालीमिर्च को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर आधा-आधा चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
• 2 चम्मच जीरे को पानी में उबाल लें, जब पानी एक कप आधा रह जाए, तो इसे दिन में 3 बार खुराक के रूप में लेने से लाभ होता है।
• जीरा, सोंठ, बच, भुनी हींग, कालीमिर्च, लौंग को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस चूर्ण में से चुटकी भर चूर्ण पानी के साथ सेवन करें।
35. प्रदर रोग:
• 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण और 1 ग्राम मिश्री के चूर्ण को कडुवे नीम की छाल के काढे़ में मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर नष्ट होता है।
• जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को चावल के धोवन के साथ सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है।
• 1 चम्मच जीरा लेकर तवे पर भून लें। फिर इसे पीसकर थोड़ी-सी चीनी मिलाकर फांक लें। इससे श्वेतप्रदर मिट जाता है।
36. पथरी: जीरे और चीनी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में तीन बार ठण्डे पानी के साथ फांकी लेने से पथरी ठीक होती है।
37. दांतों का दर्द:
• काले जीरे के उबले हुए पानी से कुल्ला करने से दांतों का दर्द दूर होता है।
• 3 ग्राम जीरे को भूनकर चूर्ण बना लें तथा उसमें 3 ग्राम सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को मसूढ़ों पर मलने से सूजन और दांतों का दर्द खत्म होता है।
38. पेशाब का बार-बार आना: जीरा, जायफल और काला नमक 2-2 ग्राम की मात्रा में कूट पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इस मिश्रण को अनन्नास के 100 मिलीलीटर रस के साथ खाने से लाभ मिलता है।
39. मुंह की बदबू: मुंह में बदबू आती हो तो जीरे को भूनकर खाएं। इस प्रयोग से मुंह की बदबू दूर हो जाती है।
40. मलेरिया का बुखार:
• एक चम्मच जीरे को पीसकर, 10 ग्राम गुड़ में मिला दें। इसकी 3 खुराक बनाकर बुखार चढ़ने से पहले, सुबह, दोपहर और शाम को दें।
• 1 चम्मच जीरा बिना सेंका हुआ पीस लें। इसका 3 गुना गुड़ इसमें मिलाकर 3 गोलियां बना लें। निश्चित समय पर ठण्ड लगकर आने वाले मलेरिया के बुखार के आने से पहले 1-1 घण्टे के बीच गोली खाएं कुछ दिन रोज इसका प्रयोग करें। इससे मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
• काला जीरा, एलुआ, सोंठ, कालीमिर्च, बकायन के पेड़ की निंबौली तथा करंजवे की मींगी को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे दिन में 3-3 घंटे के अन्तर से 1-1 गोली खाने से मलेरिया का बुखार दूर हो जाता है।
41. पुराना बुखार: कच्चा पिसा हुआ जीरा 1 ग्राम इतने ही गुड़ में मिलाकर दिन में 3 बार लगातार सेवन करें। इससे पुराना से पुराना बुखार भी ठीक हो जाता है।
42. पाचक चूरन: जीरा, सोंठ, सेंधानमक, पीपल, कालीमिर्च प्रत्येक सभी को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच खाना खाने के बाद ताजा पानी के साथ खाने से भोजन जल्दी पच जाता है।
43. खूनी बवासीर: जीरा, सौंफ, धनिया को एक-एक चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालें, जब आधा पानी बच जाये तो इसे छान लें, फिर इसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में रक्त गिरना बंद हो जाता है। यह गर्भवती स्त्रियों के बवासीर में ज्यादा फायदेमंद होता है।
44. चेहरा साफ करने के लिए: जीरे को उबालकर उस पानी से मुंह धोएं इससे चेहरे की सुन्दरता बढ़ जाती है।
45. खुजली और पित्ती: जीरे को पानी में उबालकर, उस पानी से शरीर को धोने से शरीर की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
46. पथरी, सूजन व मुत्रावरोध: इन कष्टों में जीरा और चीनी समान मात्रा में पीसकर 1-1 चम्मच भर ताजे पानी से रोज 3 बार खाने से लाभ होता है।
47. स्तनों में गांठे: दूध पिलाने वाली महिलाओं के स्तन में गांठ पड़ जाये तो जीरे को पानी में पीसकर स्तन पर लगायें। फायदा पहुंचेगा।
48. स्तनों का जमा हुआ दूध निकालना: जीरा 50 ग्राम को गाय के घी में भून पीसकर इसमें खांड 50 ग्राम की मात्रा में मिला देते हैं। इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। इससे गर्भाशय भी शुद्ध हो जाता है और छाती में दूध भी बढ़ जाता है।
49. स्तनों में दूध की वृद्धि:
• सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री तीनों का अलग-अलग चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ दिन में तीन बार देने से प्रसूता स्त्री के दूध में अधिक वृद्धि होती है।
• सफेद जीरा तथा सांठी के चावलों को दूध में पकाकर पीने से कुछ ही दिनों में स्तनों का दूध बढ़ जाता है।
• 125 ग्राम जीरा सेंककर उसमें 125 ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसको 1 चम्मच भर रोज सुबह और शाम को सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
50. अजीर्ण: 3 से 6 ग्राम भुने जीरे एवं सेंधानमक के चूर्ण को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार जरूर लें। इससे अजीर्ण का रोग समाप्त हो जाता है।
51. पेचिश: सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में चार बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
52. खट्टी डकारें: 5-10 ग्राम जीरे को घी में मिलाकर गर्म कर लें, इसे भोजन के समय चावल में मिलाकर खाने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हैं।
53. खांसी: जीरे का काढ़ा या इसके कुछ दानों को चबाकर खाने से खांसी एवं कफ दूर होता है।
54. रतौंधी:
• जीरा, आंवला और कपास के पत्तों को मिलाकर ठण्डे पानी में पीसकर लेप बना लें। कुछ दिनों तक लगातार इस लेप को सिर पर लगाकर पट्टी बांधने से रतौंधी दूर होती है।
• जीरे का चूर्ण बनाकर सेवन करने से रतौंधी (रात में दिखाई न देना) में लाभ होता है।
55. बिच्छू का जहर: जीरे और नमक को पीसकर घी और शहद में मिलाकर थोड़ा-सा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगायें।
56. बुखार: जीरे का 5 ग्राम चूर्ण पुराने गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से बुखार व जीर्ण बुखार उतर जाता है।
57. अम्लपित्त के कारण सीने में जलन: अम्लपित्त के कारण भोजन के बाद होने वाली छाती की जलन में धनिया और जीरे का चूर्ण एक साथ लेने से लाभ मिलता है।
58. आंख की रोशनी: जीरे को रोज खाने से गर्मी दूर होती हैं और आंखों की रोशनी भी बढ़ाती है।
59. विष: जीरा और शक्कर पानी में भिगोकर 7 दिनों तक सेवन करने से हरताल का विष नष्ट होता है। हरताल, सोमल, मन:शिला आदि के विष पर जीरे का उपयोग फायदेमंद है।
60. अंडकोष की सूजन:
• 10-10 ग्राम जीरा, कालीमिर्च पीसकर पानी में उबालकर उस पानी से अण्डकोषों को धोने से सूजन मिट जाती है।
• 10-10 ग्राम जीरा और अजवायन पानी में पीसकर थोड़ा गर्म कर अंडकोष पर लेप करने से अंडकोष की वृद्धि रुक जाती है।
61. अंडकोष की जलन: सफेद जीरा के चूर्ण को शराब में मिलाकर लेप करने से अंडकोष की जलन, सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
62. गर्भाशय का बढ़ा हुआ मांस: काला जीरा और हाथी के नख को महीन पीसकर एरण्ड (अरण्डी) के तेल मिला लें। फिर उसमें रूई का फोहा भिगोकर तीन दिन तक योनि में रखना चाहिए। इससे गर्भाशय का बढ़ा हुआ मांस ठीक हो जाता है।
63. दर्द व सूजन: दर्द होने पर दो चम्मच जीरा एक गिलास पानी में डालकर गर्म करके सेंक करने से लाभ होता है। सेंक के बाद जीरा को पीसकर दर्द वाली जगह लेप करने से लाभ होता है।
64. गर्मी अधिक लगना: जीरा, मिश्री, रीठा की फांट आदि मिलाकर शर्बत की तरह घोंटकर प्रतिदिन दो तीन बार सेवन करने से शरीर की जलन, प्यास और गर्मी आदि से शान्ति मिलती है। इससे पेशाब खुलकर व साफ आता है। जिसके कारण शरीर की गर्मी भी निकल जाती है।
65. शीतपित्त:
• जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से बदन की खुजली और पित्ती मिट जाती है।
• जीरा, धनिया और सोंठ को 5-5 ग्राम मात्रा में लेकर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढे़ को पीने से शीत पित्त जल्दी ही खत्म होता है।
• स्नान करते समय पानी में दो चम्मच जीरे का चूर्ण या एक नींबू निचोड़कर नहाना चाहिए। कड़वे जीरा का चूर्ण गुड़ के साथ खाने से बहुत ही लाभ होता है।
66. स्तनों का दर्द और सूजन: सफेद जीरे को शराब के साथ पीसकर स्तन पर लगाने से स्तनों का दर्द और सूजन समाप्त हो जाती है।
67. मधुमेह के रोग: 10 ग्राम काला जीरा, 10 ग्राम मिर्च तथा तुलसी के 10-12 पत्ते लेकर इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें थोड़ी सी कालीमिर्च डालकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोलियां रोजाना पानी के साथ सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
68. स्तनों का उभार: काला जीरा आधे से 2 ग्राम की मात्रा में लेकर थोड़ी-सी मिश्री को डालकर पीने से स्तन पूरी तरह से विकसित हो हैं।
69. गिल्टी (ट्यूमर): जीरा, हाऊबेर, कड़वा कूट, गेहूं और बेर-इनको कांजी में पीसकर लेप करने से रोग में लाभ मिलता है।
70. पेट के कीड़े:
• काले जीरा का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
• स्याह जीरे को उबालकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पीने से पेट के कीड़े मिट जाते हैं।
71. सभी प्रकार के दर्द: सफेद जीरा 40 ग्राम, अम्लवेत 20 ग्राम, काला नमक 10 ग्राम और कालीमिर्च 80 ग्राम को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 2 बार गर्म पानी के साथ लेने से सभी दर्दों में लाभ होता है।
72. नाक के रोग: जीरे का चूर्ण, घी और शक्कर को एक साथ मिलाकर खाने से पीनस (जुकाम) दूर हो जाता है।
73. श्वेतप्रदर: जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को चावल के धोवन के साथ प्रयोग करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है।
74. बांझपन दूर करना:
• अगर औरत की कमर में दर्द हो रहा हो समझ लेना चाहिए कि उसके गर्भाशय के अन्दर का मांस बढ़ गया है। इसके लिए हाथी के खुर को पूरी तरह जलाकर बिल्कुल बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, फिर 5 ग्राम चूर्ण को काला जीरा के साथ मिलाकर इसमे अरण्डी का तेल भी मिला लें। इस तेल को एक रूई के फोये में लगाकर योनि में गर्भाशय के मुंह पर लगातार 3 दिन तक रखने से बांझपन दूर होता है।
• यदि स्त्री के पेट में दर्द हो तो समझना चाहिए कि गर्भाशय में जाला है। इसके लिए काला जीरा, सुहागा भुना हुआ, बच, कूट 5-5 ग्राम लेकर बारीक पीस लें, फिर इस एक ग्राम दवा को पानी तरकर रूई में लगाकर योनि में गर्भाशय के मुंह पर तीन दिन तक लगातार रखना चाहिए।
75. स्तनों के आकार में वृद्धि: काला जीरा (स्याह जीरा) आधा से 2 ग्राम की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम खाने से स्तनों के आकार में वृद्वि होती है।
76. स्तनों के रोग: सफेद जीरा 20 ग्राम, इलायची के बीज 10 ग्राम, खीरे की मींगी 20 तथा कद्दू के बीजों की मींगी 20 नग। इन सभी को कूट-पीसकर 4-6 ग्राम की मात्रा में जल अथवा दूध के साथ सेवन करने से स्तनों का दूध बढ़ जाता है तथा अशुद्ध दूध शुद्ध हो जाता है। शीतऋतु में यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में लेकर उसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर फांक लेते हैं और ऊपर से बकरी का दूध पीना चाहिए इससे बहुत लाभ मिलता है।
77. एक्जिमा: 1 मिलीग्राम भुना हुआ जीरा, 10 ग्राम मिश्री के साथ नींबू का रस मिलाकर और पीसकर रोजाना सुबह और शाम पीने से एक्जिमा समाप्त हो जाता है।
78. मूत्ररोग: सफेद जीरा 10 ग्राम, कलमीशोरा 2 चुटकी, रेवंदचीनी आधा चम्मच। एक गिलास पानी में घोलकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें इसको दिन भर में चार बार पीने से मूत्ररोग नष्ट हो जाता है।
79. योनि रोग: जीरा, काला जीरा, पीपल, कलौंजी, सुगन्धिव बच, अडूसा, सेंधानमक, जवाखार और अजवायन को लेकर पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें खांड (कच्ची चीनी) को मिलाकर लड्डू बनाकर खाने से योनि के रोग दूर हो जाते हैं।
80. गठिया रोग: गठिया में 25 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम कालीमिर्च, 15 ग्राम पीपल, 10 ग्राम लहसुन और 20 ग्राम सफेद जीरा आदि सभी को मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह को शहद के साथ सेवन करने से गठिया में लाभ मिलता है।
81. फोड़ा: पानी में काले जीरे को पीसकर फोड़े पर लगाने से फोड़ा ठीक हो जाता है।
82. त्वचा के रोग: जीरा, मोम, कांच, शहद और हरड़ को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसे गाय के घी में मिलाकर फोड़े और फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
83. खाज-खुजली: जीरे को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से शरीर की खुजली और पित्ती (गर्मी) मिट जाती है


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