इच्छा नियंत्रण जरुरी क्यों हे
जितना जितना आप सांसारिक सुख भोगने की इच्छाओं को पूरा करते जाते हैं, उतना उतना वे इच्छाएं और बढ़ती जाती हैं। यह तो प्रायः सभी का अनुभव है। क्या कभी किसी व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं? नहीं हो सकती। जो इच्छाएं पूरी नहीं हो पाएँगी , वे सुख देंगी या दुख देंगी? दुख देंगी। इसलिए सांसारिक रूप रस गंध आदि विषयों का सुख भोगने की इच्छाओं को पूरा करते रहना उचित नहीं है। क्योंकि इसका अंतिम परिणाम दुख ही निकलेगा। अशांति अतृप्ति असंतोष ही होगा।
तो फिर क्या करना चाहिए? उत्तर है कि- इच्छाओं को कम करना चाहिए। इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहिए। कैसे? ऐसे सोचना चाहिए कि, यदि इच्छाएं पूरी हो गई, तो ठीक है। यदि कुछ इच्छाएं पूरी नहीं हो पाई, तब अपने मन में कहें "कोई बात नहीं". इच्छाओं को पूरा इसलिए न करें कि आप सांसारिक सुख भोगना चाहते हैं; बल्कि इच्छाओं को इसलिए पूरा करें कि आप अपने जीवन की रक्षा करना चाहते हैं। जीवन रक्षा के उद्देश्य से सब कार्य करें। इच्छाओं की पूर्ति करें । आवश्यकताओं की पूर्ति करें। इंद्रियों के विषयों का सुख लेने के उद्देश्य से नहीं।
यदि आप इस प्रकार से विचार पूर्वक जिएंगे, तो जीवन में अनेक प्रतिकूलताएँ होने पर भी आप बहुत संतोष पूर्वक जीवन जी सकेंगे