भजन
साँझ सकारे
भज मन प्यारे
भज ले ओ३म् का नाम
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
दुर्गुण दोष रहित मन कर ले
रहे सदा ये ध्यान
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
ना कर छल, ना बन अभिमानी
ना कर मूरख! तू मनमानी
इस नर-तन का मोल समझ ले
करता क्यूँ अभिमान
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
राजा रंक रहा न कोई
जो आये जायेगा सोई
पर तू ना जाने इस जीवन की
आ जाये कब शाम
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
बीज तू पापों के क्यूँ बोये
मानव जीवन में ना सोहे
बाँध गठरिया शुभ कर्मों की
जो अन्त में आये काम
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
वेद पढ़े समझे हुए ज्ञानी
बने सुपथ के वो अनुगामी
वेदों से पाके गुणों के खजाने
बने भक्त धनवान्
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
ईश चरण में कर ले वन्दन
काटें दुःख के प्रभु सब बन्धन
मन में जो होगा प्रकाश प्रभु का
पायेगा सुखधाम
रे मनवा ! भज ले ओ३म् का नाम
सोहे = शोभित, अच्छा लगना
सुखधाम = आनन्दता