बदले इस कदर

बदले इस कदर                                                  


जब किसी घर में बच्चे सयाने हो गये
समझो घर में वालदैन , फिर निमाने हो गये ,


देखते ही देखते , हालात बदले इस कदर
अपने ही घर , वालदैन बेठिकाने हो गये ,


मर गया आंखों का पानी , खून पानी हो गया
क्या करें जब हाथ अपने बेगाने हो गये ,


वो अदब अखलाक वाली और बातें प्यार की
उनको अब सुने हुए कितने जमाने हो गये ,


या खुदा तौफीक बक्श , खुद ही तू इन्सान को
जो मुहब्बत भूल कर के बदजुबाने हो गये ,


तेरी मेरी बात नहीं ये बात है जहान की
हर जगह हर घर के अन्दर ये फसाने हो गये ,


हो गया दिल जख्मी जब घर में दीवार पड़ गई
यूं लगा दरिया के जैसे दो मुहाने हो गये ,


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

वर-वधू को आशीर्वाद (गीत)