आज का वेदमंत्र
आज का वेदमंत्र ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOQUnkj1KKL_Zrvk1atNqwVtnN3kM-UQTYe5IHhEpHev0dDaNqenSzRZfJH4jMA6ulFxwZFYS3mgdGm2XAa97ZEpwupXlxTyJ64mO-94lP8xkpt-I1a6fnYmWeWcFNqP5c4KIwAZH0OmM/)
ऋभुर्भराय सं शिशातु सातिं समर्यजिद्वाजो अस्माँ अविष्टु।
तन्नो मित्रो वरुणो मामहन्तामदितिः सिन्धुः पृथिवी उत द्यौः॥ ऋग्वेद १-१११-५।।
वह ज्ञानदीप प्रभु हमें जीवन के संग्राम में विजयी होने के लिए उत्तम साधन प्राप्त कराएं। हमारा संरक्षण करें। वासनाओं से युद्ध में विजयी होने के लिए ज्ञान और शक्ति दे। हमारे इस संकल्प को परिपूर्ण करने में मित्र, उत्तम गुण वाला विद्वान, पृथ्वी, समुद्र और सूर्य का प्रकाश सहायक हो।