आज का वेदमंत्र
आज का वेदमंत्र ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh0-zK4CZ1PLZ7RLB0_ibdsfRCrqQnZOaRv6jJ7KeQkUZxQ_cQW-4Hd-h_0nUx_063zTziPkE9q05kb6pVVlT5yRC7fLAB2gX4wGapAMqK_nfQNmHHOtYJQSeaciUsaXqUYqmUigVOxw_I/)
उषो यदग्निं समिधे चकर्थ वि यदावश्चक्षसा सूर्यस्य।
यन्मानुषान्यक्ष्यमाणाँ अजीगस्तद्देवेषु चकृषे भद्रमप्नः॥ ऋग्वेद १-११३-९।।
हे उषा, तुम पवित्र अग्नि को प्रज्वलित करती हो। सूर्य के प्रकाश से समस्त जगत को प्रकाशित करती हो। तुम यज्ञ करने वाले मनुष्यों को जगाती हो और उन्हें दूसरों के हित के शुभ कार्य करने के लिए प्रेरित करती हो। तुम कल्याणकारी हो।