आज का वेदमंत्र
आज का वेदमंत्र,
विष्ट्वी शमी तरणित्वेन वाघतो मर्तासः सन्तो अमृतत्वमानशुः।
सौधन्वना ऋभवः सूरचक्षसः संवत्सरे समपृच्यन्त धीतिभिः॥ ऋग्वेद १-११०-४।।
उत्तम ज्ञानशील विद्वान जो सूर्य के समान प्रकाश वाले हैं और अच्छी वाणी वाले हैं। जो निरंतर उत्तम कर्मों के लिए क्रियाशील रहते हैं। मरणधर्मा होते हुए भी अमरता को प्राप्त करते हैं। इनकी ज्ञानपूर्णता और उत्तम क्रियाशीलता ही इन्हें अमरता प्रदान करती है।