महापर्व गणतन्त्र का सन्देश सन्देश

महापर्व गणतन्त्र का सन्देश सन्देश


हमें जगाने आ गया, महापर्व गणतन्त्र।


सुख पाओगे सीख लो, देशभक्ति का मंत्र।


देशभक्ति का मंत्र , साथियो है सुखदाता


देशभक्त बलवान, मान जग में है पाता।


देभक्ति के बिना व्यर्थ है मानव जीवन।


जैसे जल बिन ताल, फूल विन जैसे उपवन।


भला इसी में देशभक्त, बन जाओ प्यारो।


बिगड़ गया है हाल देश का, इसे सुधारो।। 1 ।।


प्यारे यवको-युवतियो! करो उन्हें भी याद।


जो इस प्यारे देश को, करा गये आजाद ।


करा गए आजाद धन्य थे, वे नरबंका।


आजादी का बजा गए जो निर्भय डंका।


देश-धर्म की भेंट चढ़ाई भरी जवानी।


नहीं मौत से डरे, निराले थे बलिदानी।


भारत वीर सपूत, वही लाए आजादी।


धूर्त स्वार्थी लोग, रहे हैं कर बर्बादी ।। 2 ।।


जाति-पाति का देश में, है अब भारी जोर


गुण की कीमत है नहीं, पक्षपात घनघोर।


पक्षपात हैं घोर, स्वार्थी हैं अब नेता।


कुर्सी से है प्यार, दिखाई देश न देता।


ऊँच-नीच का रोग, भयंकर बढ़ रहे हैं।


शैतानों को नीच, शीष पर चढ़ा रहे हैं।


धर्म-कर्म को भूल गए, नेता अज्ञानी।


याद इन्हें ना रही, शहीदों की कुर्बानी।।3 ।।


महापर्व गणतन्त्र यह, प्रण करो सब आज।


तुम्हें बचानी है सुनो, भारत माँ की लाज।


भारत माँ की लाज, बचाओ वीरो! जा।


करो परस्पर मेल, फूट पापिन को त्यागो।


उग्रवाद और आतंकवाद का रोग मिटाओ।


बिस्मिल शेखर बनो, देश की शान बढ़ाओ।


जीवन कर लो सफल, समय मत व्यर्थ गंवाओ।


'नन्दलाल' निज नाम, अमर जग में कर जाओ।।4।।


 


 


 


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