सम्मलि. नदीजिये
सम्मलि. नदीजिये
नापूष्ट कस्यचिद् ब्रयान्न चान्यायेन पुच्छतः।
जाननपि हि मेधावी जड़वल्लोकमाचरेतू॥
भावार्थ - बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि - वह सब कुछ जानते हुए भी बिना पूछे किसी को अपनी राय न दे। कोई व्यक्ति अन्याय से मान लीजिये आप से कुछ पूछता है, आप जड़वत् आचरण करने लग जाइये। ऐसे कि- जैसे आप उस विषय में कुछ जानते ही नहीं है। सामने वाला आपको मूर्ख समझ रहा है और आप |उसके सम्मुख मूर्ख बनकर भी उपदेश देते रहें यह ठीक नहीं है। जो आपकी सम्मति का आदर करता हो उसे ही आप अपनी शुभसम्मति दीजिए।