सारांश

कलीसिया: त्रिएक परमेश्वर का सिद्धान्त 1700 साल या उससे अधिक समय से मुख्यधारा के ईसाई कलीसियाओं और संप्रदायों का केंद्रीय सिद्धांत रहा है। यह सिद्धांत सिखाता है कि परमेश्वर तीन व्यक्ति हैं, परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र और परमेश्वर पवित्र आत्मा। इनमें से प्रत्येक परमेश्वर है और वे सभी एक हैं।


बाईबिल: न तो त्रिएक परमेश्वर शब्द और न ही व्यक्ति शब्द बाइबिल में कहीं मिलता है। और न ही परमेश्वर का संख्या ३ से कहीं संबंध दिखता है। बाईबल यीशु को कई अद्भुत उपाधियाँ प्रदान करती है, जिसमें परमेश्वर का पुत्र भी शामिल है, लेकिन कहीं भी उसे परमेश्वर कहकर सम्बोधन नहीं किया गया है।


इतिहास: ईसा के समय से बहुत पहले बेबीलोन और हिंदू धर्म सहित अन्य प्राचीन धर्मों में त्रिएक परमेश्वर के सिद्धांत मौजूद थे। लेकिन यह सिद्धांत नए नियम में कहीं नहीं है। सम्राट कांस्टेनटाइन ने ईसाई धर्म को रोमन साम्राज्य का आधिकारिक धर्म बना दिया और चर्च में कई मूर्तिपूजक प्रथाओं को लाने के बाद यह आधिकारिक कलीसिया का सिद्धांत बन गया। उस समय से इसमें विश्वास नहीं करने वाले लोगों को हल्के से लेकर जीवित जलने तक हर प्रकार के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।


कई लोग जो नाममात्र के ईसाई देशों में बड़े हुए हैं, उन्हें बचपन से त्रिएक परमेश्वर का सिद्धांत पढ़ाया जाता है। उनमें से अधिकांश ने इसे बिना किसी प्रश्न के स्वीकार कर लिया है।


यदि त्रिएक परमेश्वर का सिद्धांत सही और सत्य है, तो हमें इसे मजबूतीसे पालन करना चाहिए। यदि यह ईसाई कपड़ों में एक झूठी बेबीलोन शिक्षा है, तो हमें इसे अस्वीकार करना चाहिए और कई अन्य झूठी शिक्षाओं को अस्वीकार करना चाहिए जो कलीसिया की परंपराओं ने हमें सिखाया है।


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