पण्डित ओंकारनाथ वाजपेयी



पण्डित ओंकारनाथ वाजपेयी



     आर्य समाज के त्यागी व तपस्वी कार्यकर्ताओं में पण्डित ओंकार नाथ मिश्र भी एक थे । महुआ नामक गांव जिला आगरा में आप का जन्म महर्षि दयानन्द जी के निर्वाण से मात्र दो वर्ष पूर्व सन १८८१ इस्वी में हुआ । यह समय आर्य समाज का समय कहा जा सकता है । इस कारण आप पर आरम्भ से ही आर्य समाज का प्रभाव दिखाई देने लगा ।


     आप ने प्रयाग विश्वविद्यलय से मैट्रिक की परीकशा उतीर्ण्करने के तदन्तर इलाहाबाद में एक प्रैस की स्थापना कर , प्रकाशन का कार्य आरम्भ किया तथा इसके साथ ही एक पिस्तक विक्री एन्द्र ( बुक डिपो ) भी आरम्भ किया । आप के इस प्रकाशन संस्थान ने प्रकाशन के क्शेत्र में अच्छी ख्याति अर्जित की । आप ने अनेक महपुरुषों के जीवन जन जन तक फुंचाने का स्म्कल्प  लिया तथा इस चरित प्रकाशन का कार्य एक माला के अन्तर्गत किया । इस माला का नाम आदर्श माला रका गया ।


     आप ने आर्य कुमार सभा इलाहाबाद को भी अपना सक्रिय योगदान दिया तथा इसके सक्रिय कार्यकर्ता बन गए । आप के सतत प्रयास से इस आर्य कुमार सभा के सदस्यों की खूब व्रद्धि हुई तथा अनेक एसे बालक इस सभा के सदस्य बने , जो बाद में अपने कार्य के कारण अत्यधिक ख्याति प्राप्त हुए । एसे लोगों में हिन्दी के प्रख्यात कवि डा. हरिवंशराय बच्चन भी एक थे जो इस कुमार सभा के कार्यक्रमों में नियमित रुप से भाग लेते थे । बच्चन जी को आर्य समाज सम्बन्धी प्रेरणा बाजपेयी जी से ही मिली थी ।  बच्चन जी स्वामी सत्य प्रकाश जी के भी अन्तरंग मित्र तथा सह्पाटी थे । कहा जता है कि स्वामी जी जब आर्य कुमार सभा के प्रधान होते थे , उस समय बच्चन जी इस कुमार सभा के सदस्य थे । सम्भवतया यह ही वह समय रहा होगा ।


    आप ने महिलोपयोगी साहित्य भी काफ़ी मात्रा में लिखा । इतना ही नहीं नारी शिक्शण को बटावा देने के लिए आपने “कन्या मनोरंजन” नाम से एक पत्रिका भी आरम्भ की । आप क नारि उत्थान तथा सदाचार की ओर विशेष ध्यान रहता था , इस कारण आप ने आदर्श कन्या पाटशाला , कन्या दिनचर्या, कन्या सदाचार , दो कन्याओं की बातचीत , शान्ता (उपन्यास) आदि पुस्तकेंलिखीं व प्रकाशित कीं ।


     इस प्रकार अपने जीवन्का प्रत्येक क्शण आर्य समाज्के प्रचार प्रसार , लेकन व प्रकाशन को देने वाले पण्डित ओंकारनाथ वाजपेयी जी का देहान्त २८ जुलाई १९१८ को हो गया ।





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