पाकिस्तान मे गुरुद्वारा

पाकिस्तान मे गुरुद्वारा



        पाकिस्तान मे गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर मुस्लिम भीड़ ने आक्रमण किया। अफगानिस्तान मे सिक्खों की संख्या नगण्य रह गई है। पाकिस्तान मे सिक्खों की बेटियाँ उठा ली जाती हैं। परंतु भारत मे खालिस्तान प्रेमी सिक्ख नेता हमेशा एक ही बात चीखते चिल्लाते दोहराते रहते हैं कि सिक्खों को हिंदूओ से खतरा है। जो गुट इस प्रचार में लगा हुआ है वह इतिहास को बिगाड़ कर इस ढंग से पेश कर रहा है जिससे उनका तर्क वजनदार बन सके। जब कोई विद्वान या प्रचारक इस विषय पर बोलता है तो स्पष्ट शब्दों में हिन्दू कौम को सिखों का दुश्मन करार देता है। पहले जब यह बात आरंभ हुई थी तो ब्राह्मणवाद को लक्ष्य बनाया गया था। ब्राह्मणवाद को ही सिखी के सिद्धांतों का विरोधी माना गया था। कई बार तो ये प्रवक्ता ब्राह्मणों को ही बुरा-भला कहते हैं।  बहुत बड़े-बड़े विद्वान और योद्धा ब्राह्मण सिख श्री दरबार साहिब अमृतसर के हैडग्रंथी रह चुके हैं। 


       एक समय दिल्ली मे नारा लगा था- मुस्लिम सिक्ख भाई भाई/ हिन्दू कौम कहाँ से आई। श्री गुरु अर्जुन देव जी की बलिदान  का आदेश बादशाह जहांगीर ने दिया था और यह तथ्य ‘तुजके जहांगीरी’ में दर्ज है और कोई भी इसे पढ़ सकता है लेकिन फिर भी हर कोई चंदू को शहादत का कारण बताकर मुगल जहांगीर को दोष मुक्त करता है। कुछ समय पूर्व किसी ने यह भी लिखा था कि  श्री गुरु तेग बहादुर जी की शहादत का औरंगजेब को पता ही नहीं था।गुरु गोबिन्द सिंह के बच्चों के बलिदान के बारे मे भी औरंगजेब को क्लीनचीट कई बार दी गई है। इतिहास को बिगाड़ने से भविष्य बिगड़ता है।जाति के आधार पर भी राजनैतिक गठजोड़ बनाने की कोशिश कई बार की गई है। जैसे हिन्दू जाट और जट्ट सिक्ख एक ही हैं। काल्पनिक इतिहास गढ़े जाते हैं। इनमे सबसे मुख्य होता है ब्राह्मणो को गाली देना।  


       यहाँ गुरुओं के लिए बलिदान देने वाले ब्रह्मणो की एक सूचि बनाई गई है जिसमें गुरुओं के लिये अपना बलिदान देने वाले ब्राह्मण वीरों का उल्लेख है :-


      1. पंडित प्रागा दास जी -
        पिता का नाम एवं जन्मस्थान - इनके पिता जी का नाम पंडित माई दास जी था , इनका जन्म करीयाला झेलम में हुआ था जोकि वर्तमान पाकिस्तान में है ।


        भूमिका - पंडित प्रागा जी एक छिबर ब्राह्मण थे । ये पाँचवे गुरु श्री अर्जुन देव जी के मुख्य सहयोगी रहे । इन्होंने छटे गुरु को युद्ध कला सीखाने का श्रेय प्राप्त है । 1621 में अब्दुलाखान के साथ हो रहे युद्ध में इनको वीरगति प्राप्त हुई ।


      2. पंडित पेड़ा जी -
       पिता का नाम एवं जन्मस्थान - इनके पिता जी का नाम पंडित माई दास जी था , इनका जन्म करीयाला झेलम में हुआ था जोकि वर्तमान पाकिस्तान में है । ये पंडित प्रागा दास जी के छोटे भाई थे ।


      भूमिका - पंडित पेड़ा दास जी भी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सहयोगी थे  और ये गुरु हरगोविंद सिंह जी  की सेना के मुख्यसेनापति थे । इन्होंने सभी लड़ाईयों में हिस्सा लिया  और अंत में अमृतसर  की लड़ाई में शहीद हुए ।


3. पंडित मुकुंदा राम जी -


जन्मस्थान - कराची , वर्तमान पाकिस्तान


        भूमिका - पंडित मुकुंदा राम जी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सेवक थे और बाद में उनकी सेना के मुख्य सेनापति के तौर पर भी नियुक्त हुए । पंडित मुकुंदा राम जी चार वेदों के ज्ञाता एवं युद्ध कला में निपुण थे । इनको भी युद्ध में शहीद होना का श्रेय प्राप्त है ।


4. पंडित जट्टू दास जी -
जन्मस्थान - लाहौर, पाकिस्तान


       भूमिका - पंडित जट्टू दास जी एक तिवारी ब्राह्मण थे पंडित जट्टू राम जी गुरु हरगोविंद सिंह जी की सेना में सेनानी थे और बाद में इन्होंने सेना का कार्य भार भी संभाला । 1630 में मुहम्मद खान के साथ इन्होंने बड़ी लड़ाई लड़ी और मुहम्मद खान का वध करने का श्रेय इन्हें ही प्राप्त है । मुहमद खान के साथ लड़ाई में इनको बहुत शारीरिक नुक़सान पहुँचा और युद्ध क्षेत्र में ही वीर गति को प्राप्त हो गये ।


         5 .पंडित सिंघा पुरोहित जी -
        भूमिका - पंडित सिंघा पुरोहित जी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सेवक थे जो छटवें गुरु की सेना में सिपाही भी रहे । श्री सिंघा जी अमृतसर के नज़दीक लड़ाई में शहीद हुए


6. पण्डित मालिक जी पुरोहित
पिता का नाम - पंडित सिंघा जी पुरोहित


भूमिका - पण्डित मलिक जी पंडित सिंघा जी के सुपुत्र थे ( पढ़े नम्बर 5 ) मुखलसखान के विरुद्ध इन्होंने धुआँधार लड़ाई लड़ी और अंत में विजयी भी हुई । पंडित  मलिक जी गुरु हरगोविंद का दाहिना हाथ माना जाता है । इनको भंगाणी के युद्ध में शहादत प्राप्त हुई।


      7. पंडित लाल चंद जी -
     जन्मस्थान - कुरुक्षेत्र, हरियाणा


        पंडित लाल जी एक महान विद्वान एवं योद्धा थे । श्री लाल चंद जी चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए थे ।


      8. पंडित किरपा राम जी
        पिता का नाम - पंडित अड़ू राम जी


      भूमिका - पंडित कृपा राम जी गुरु तेग़ बहादूर जी के प्रमुख सहयोगी थे ,इन्होंने ही गोबिंद राय जी को सारी शस्त्र विद्या सिखाई थी । कहा जाता है कि इनके जैसा वीर योद्धा पंजाब के इतिहास में नहीं हुआ ।  इनको चमकौर की लड़ाई में शहादत मिली । ये समकालीन सेना के सेनापति भी थे ।


       9. पंडित सनमुखी जी
        पिता का नाम - पंडित अड़ू राम जी


       सनमुखी जी पंडित कृपा जी के भाई थे , और ये इनको दसवे गुरु द्वारा खालसा फ़ौज का सेनापति भी मनोनीत किया गया था , पंडित सनमुखी जी चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए थे ।


       10. पंडित चोपड़ राय जी -
        पिता का नाम एवं जन्मस्थान - श्री पेड़ा राम जी , जेहलम


      भूमिका - श्री चोपड़ राय जी एक बहुभाषी विद्वान थे । इन्होंने रहतनामें एवं अन्य आध्यात्मिक कृतियों की रचना की । श्री चोपड राय जी ने खालसा फ़ौज का नेतृत्व किया और ये भंगाणी के युद्ध में शहीद हुए ।


       11. पण्डित मथुरा जी
        पिता का नाम एवं जन्मस्थान - श्री भीखा राम जी , लाड़वा हरियाणा


       श्री मथुरा राम जी एक महान विद्वान एवं योद्धा थे । श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में इनके चौदह अंक दर्ज है । इन्होंने मात्र अपने ४०० साथियों की सहायता से  बैरम खान के साथ युद्ध किया एवं जीत भी हासिल की । इन्होंने बैरम खान को मौत की नींद सुला दिया था । श्री मथुरा जी 1634 में अमृतसर की लड़ाई में शहीद हुए ।


       12. पण्डित किरत जी
       जन्मस्थान एवं पिता का नाम - श्री भिखा राम जी , लाड़वा हरियाणा


      पण्डित किरत जी एक महान विद्वान एवं योद्धा थे , इनके द्वारा रचित आठ अंक गुरु ग्रंथ साहिब में अंकित है । श्री किरत जी गुरु अमरदास के सहयोगी थे और 1634 ईसवी में गोविंदगढ़ की जंग में शहीद हुए ।


       यह पोस्ट उनके लिए भी है जो विदेशी इतिहासकारों की विकृति से भ्रमित होकर आपस में जहर घोलने का कार्य करते हैं।


       13. पण्डित बालू जी
        पिता का नाम एवं जन्मस्थान - श्री मूलचंद जी , कश्मीर


       पण्डित बालू जी भाई दयाल दास के पोते थे , पण्डित परागा दास के नेतृत्व में लड़ी गयी सिख इतिहास की पहली लड़ाई में शहीद हुए


      14. पण्डित सती दास जी
      15. पण्डित मति दास जी
      ( 14 & 15 के विषय में कुछ भी लिखना मेरे लिए सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा ।
ये मुख्य मुख्य उन ब्राह्मणों की सूचि है जिन्होंने सिक्ख आंदोलन में भाग लिया और मुसलमान बादशाहों का जो सपना भारत को इस्लामी देश  बनाना था उसके विरुद्ध सिक्ख सेनाओं को मजबूत किया ।


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