NRC से समस्या



       NRC से समस्या यह है कि सवा दो करोड़ को अवैध घुसपैठिया घोषित करके नागरिकता के सारे अधिकारों से वञ्चित करना पड़ेगा और शेष करोड़ों अवैध घुसपैठियों के सिर पर खतरा मँडराता रहेगा कि वे न तो अवैध घुसपैठिये घोषित हो पायेंगे और न ही NRC रजिस्टर में स्थान पा सकेंगे;मुस्लिम मुहल्लों में कबतक छुपकर रहेंगे?


      उन अघोषित घुसपैठियों में से आधे तो पुरानी सरकारों के दौरान नागरिकता पा भी चुके हैं किन्तु बहुतों के पास कोई कागजात नहीं है । असली आक्रोश उनके लिये ही है । उनकी संख्या करोड़ों में है,जबकि CAA का लाभ तो मुट्ठी भर गैर−मुस्लिमों को मिलने जा रहा है । अतः आक्रोश इस बात का है कि उन अवैध करोड़ों का क्या होगा जो न भारत के बन सके और न अब बांग्लादेश या पाकिस्तान के ही रहे । वे शरणार्थी भी नहीं हैं और न ही उत्पीड़ित,वे उन लोगों के अंश हैं जिन्होंने भारत के टुकड़े करके पाकिस्तान ले लिये थे । जिनको पिछली केन्द्र सरकारों अथवा दिल्ली वा बंगाल आदि की राज्य सरकारों ने गलत तरीके से भारतीय होने के कागजात धरा दिये हैं,जैसे कि आधारकार्ड,वोटर कार्ड,राशन कार्ड,आदि,उनको भी भय है कि कहीं उनके इतिहास की छानबीन न होने लगे । ऐसे सात करोड़ घुसपैठिये आक्रोशित हैं और उनके करोड़ों मित्र भी ।


      लंबे समय तक लेफ्ट फ्रंट का गढ़ रहे पश्चिम बंगाल में हर चौथा व्यक्ति मुसलमान है, पर वहां भी जेलों में लगभग आधे कैदी मुसलमान हैं. बंगाल में कभी किसी सांप्रदायिक पार्टी का राज  नहीं रहा. यही नहीं, महाराष्ट्र में हर तीसरा तो उत्तर प्रदेश में हर चौथा कैदी मुसलमान है.


     जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी और सिक्किम के अलावा देश के अमूमन हर सूबे में मुसलमानों की जितनी आबादी है, उससे अधिक अनुपात में मुसलमान जेल में हैं. 


        इस्लामिक स्टेट से भागकर यूरोप में आये शरणार्थियो के उत्पात ने यूरोपीय देशो को बता दिया है कि इस्लाम शान्ति का मजहब है और इस्लाम और अपराध का दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है.
     जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की उदारवादी आप्रवासी नीति के कारण साल 2015 में जर्मनी में अनुमान से ज्यादा मुस्लिम शरणार्थी आ गए। जिनकी अनुमानित संख्या करीब 11 लाख बतायी जा रही है।
      जर्मनी के कोलोन में 31 दिसंबर 2015 की रात ने जर्मनी में सब कुछ बदल दिया।
      जो जर्मन मुस्लिम शरणार्थियों का स्वागत कर रहे थे, उस रात ने उनके अंदर न सिर्फ शरणार्थियों के प्रति बल्कि पूरे इस्लाम के प्रति नफरतों के बीज बो दिए।
      न सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे विश्व में इस घटना क्रम ने सनसनी फैला दी, जिसके प्रभाव पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाने पर ले रहे हैं।


      कोलोन में 31 दिसंबर 2015 की रात जर्मन लड़कियों पर यौन हमले हुए। जांच में सामने आया कि ये हमले करने वाले लोग मुस्लिम शरणार्थी थे। उस रात लगभग 1,200 शिकायतें आईं जिनमें से 500 से ज्यादा यौन हमलों की थीं। इस घटना ने पूरे जर्मनी को दहला दिया जगह जगह से शरणार्थियों के विरोध की आवाजें सुनाई देने लगीं हैं.


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