मेहरचन्द महाजन



 मेहरचन्द महाजन



       श्री मेहरचन्द महाजन एक महान न्यायविद तथा एक उत्तम प्रशासक थे । हिमाचल के टीका नगरोटा नामक स्थान पर २१ दिसम्बर १८८९ इस्वी को आप का जन्म हुआ । आप ने खूब दिल लगा कर शिक्शा प्राप्त की तथा एक अच्छे वकील बन गए ।


      आप ने वकालत का आर्म्भ तो गुर्दासपुर पंजाब से किया किन्तु जल्दी ही आप लाहौर चले गये । लाहौर उन दिनों रजनीति तथा शिक्शा का केन्द्र था । अत: जल्दी ही आप लाहौर के कानूनविद से प्रतिष्टित कानून विद अर्था कानून के व्यवसायी हो गए ।


      अपनी मेहनत व उसमें सफ़लता के कारण आप कानून के क्शेत्र में एक अच्छी विभूति बन गए इस कारण आप को लाहौर हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया । आप की सफ़लता यहां तक ही न रुकी , आप ने आगे बटते हुए काशमीर का प्रधान मन्त्री का पद भी प्राप्त किया । जब भारत स्वाधीन हुआ तो आप को सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश भी बनने का गौरव मिला ।


      देश की इस न्यायिक सेवा से मुक्त होने के पश्चात आप को डी ए वी कालेज प्रबन्ध कर्त्री समिति का प्रधान भी बनाया गया । आज हम टंकारा में जो महर्षि दयानन्द स्मारक ट्र्स्ट के नाम से एक बडी सुद्रट संस्था देख रहे हैं , इस का निर्माण व स्थापना भी आप ही ने की । इस कारण आप ही इस के संस्थापक अध्यक्श बने ।


     आप ने अपनी एक आत्मकथा भी लिखी । अंग्रेजी में लिखी इस आत्मकथा का नाम लुकिंग बैक रखा गया । य्हह आत्मकथा आर्य समाज्के उस कल के संस्मरणों का पोथा बन गया है । सन १९६७ इस्वी में अप का देहान्त हो गया ।




Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।