कलीसिया की परम्परा

३२५ ई में प्रतिपादित निसिया पंथ मसीही शिक्षाके सिद्धान्त का आधिकारिक दस्तावेज है। इसमें तीन भाग हैं, त्रिएक परमेश्वर के तीनों व्यक्तित्वों के लिए एक एक भाग। उस समय से लेकर आजतक प्रमुख मसीही कलीसियाओं के लिये त्रएकता एक मुख्य सिद्धान्त रहा है।


प्रत्येक परम्परागत रोमन कैथोलिक या एंग्लिकन कलीसिया की आराधनाओं में बार बार त्रिएक परमेश्वर का उल्लेख किया जाता है। प्रत्येक भजन के अन्त में स्तुतिगान के रूप में ,’पिता की, पुत्र की और पवित्र आत्मा की महिमा हो’, गाया जाता है। अधिकांश प्रचारक अपने प्रवचन का आरम्भ, ‘पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम में’ करते हैं। अधिकांश परम्परागत कलीसियाओं में आराधना का अन्त इन आशिर्वाद- वचनों से किया जाता है, ‘सर्वशक्तिमान् परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा का आशिर्वाद सदा सर्वदा आपके बीच और आपके साथ रहे’। अन्य कलीसियाओं में अनुग्रह के अशिर्वाद के साथ आराधना का समापन किया जाता है, ‘प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह, परमेश्वर पिता का प्रेम और पवित्र आत्मा की सङ्गति आप सभी के साथ रहे’ (२ कोरि १३: १४)।


अधिकांश कलीसियायें बप्तिस्मा देते समय मत्ती की पुस्तक (२८:१९) में उल्लिखित यीशु मसीह की आग्या के अनुसार त्रिएकता का सूत्र उपयोग करती हैं। क्योंकि लिखा है, “इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।”


पश्चिमी देशों में अनगिनत कलीसियाओं के नाम “Trinity Church” या “Holy Trinity Church” रखते हैं।


अधिकांश पंथों के लिये त्रिएक परमेश्वर पर विश्वास करना रूढिवादिता का बहुमूल्य प्रमाण है। त्रिएक परमेश्वर में विश्वास करने वाले सभी पंथ रूढीवादि समझे जाते हैं। रोमन कैथोलिक, ग्रीक या रसियन अर्थोडक्स, एन्ग्लिकन, बाप्तिस, प्रेसबिटिरियन और बहुत सारे, लेकिन सभी नहीं, इनके साथ साथ पेन्टीकौस्टल समूह, सब इसी श्रेणी में आते हैं।


यहोवा के साक्षी, मरमन्स, ख्रिष्टाडेल्फियन्स, तथा अन्य जो त्रएक परमेश्वर अथवा यीशु मसीह के ईश्वरत्व में विश्वास नहीं करते, वे झूठे धार्मिक सम्प्रदाय की श्रेणी में आते हैं।


जैसा कि हम देखते हैं, परम्परागत कलीसियायें त्रिएक परमेश्वर के सिद्धान्त पर विशेष बल देती रही हैं। क्या यह शिक्षा धर्मशास्त्र पर आधारित है? जैसाकि होना चाहिये! अथवा यह मुख्यतया सिर्फ कलीसिया के परम्परा पर आधारित है?


हम बाईबल धर्मशास्त्र में इसका उत्तर ढूँढने का प्रयत्न करेंगे।


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