जब तेरी डोली निकाली जाएगी

यज्ञ की ज्योति जलानी चाहिए,
वेद  की  रीति चलानी चाहिए।
जिंदगी आनंद से भर जाएगी ;
ओम से प्रीति लगानी चाहिए।


ईश  ज्योति नभ पटल पर छा रही;
सिंधु की लहरे भी यश को गा रही।
महिमा उसकी गुनगुनानी चाहिए।
ओम से प्रीति...


भावना दिल मे सदा उपकार की;
कामना  हो   प्रेममय संसार की।
धारणा वैदिक बनानी चाहिए।।
ओम से प्रीति...


कर्म  का  बस  वेद  ही  आधार  हो;
धर्माधर्म का करते सब ही विचार हो।
चेतना तप से सजानी चाहिए।
ओम से प्रीति...


देश'हित' में जो सदा बलिदान हो;
राष्ट्र गौरव का भरा अभिमान हो।
मुस्कुराती वो जवानी चाहिए।।
ओम से प्रीति...


तर्ज: जब तेरी डोली निकाली जाएगी।


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