ईशोपनिषद्

ईशोपनिषद्


7. सारी उपनिषदों में ईशावास्योपनिषद् को सर्वश्रेष्ठ उपनिषद् माना गया है क्योंकि इसमें परमात्मा व जगत् के स्वरूप, मानव के कर्तव्यों, संसार में जीने की कला, विद्या व अविद्या, भौतिक एवं आध्यात्मिक सुख कैसे उपलब्ध किया जा सकता है आदि का उल्लेख किया गया है। वस्तुतः इसमें अध्ययन का निरूपण बड़े मार्मिक एवं रोचक ढंग से किया गया है। यहाँ तक कि विद्वानों का विचार है कि यदि कभी हमारा समग्र आध्यात्मिक साहित्य नष्ट भी हो जाये, परन्तु इस उपनिषद् के प्रथम 2 मन्त्र भी हमारे पास सुरक्षित रह जाये, तो भी हम समूचे अध्यात्म का भवन पुनः खड़ा कर सकते हैं। सारी उपनिषदें इस उपनिषद् के प्रथम मन्त्र की व्याख्या है।


 


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