गुरु गोविन्द सिंह और जफरनामा का सच 

गुरु गोविन्द सिंह और जफरनामा का सच 



      गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे. वह ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे. और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे. जब औरंगजेब के अत्याचार सीमा से बढ़ गए तो गुरूजी ने मार्च 1705 को एक पत्र भाई दयाल सिंह के हाथों औरंगजेब को भेजा. इसमे उसे सुधरने की नसीहत दी गयी थी. यह पत्र फारसी भाषा के छंद शेरों के रूप में लिखा गया है. इसमे कुल 134 शेर हैं. इस पत्र को "ज़फरनामा "कहा जाता है.


     यद्यपि यह पत्र औरंगजेब के लिए था. लेकिन इसमे जो उपदेश दिए गए है वह आज हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं . इसमे औरंगजेब के आलावा मु सल मानों के बारे में जो लिखा गया है, वह हमारी आँखें खोलने के लिए काफी हैं. इसीलिए ज़फरनामा को धार्मिक ग्रन्थ के रूप में स्वीकार करते हुए दशम ग्रन्थ में शामिल किया गया है.


जफरनामासे विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं. ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके ---


     1 - शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना --


बनामे खुदावंद तेगो तबर, खुदावंद तीरों सिनानो सिपर.


खुदावंद मर्दाने जंग आजमा, ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा. 2 -3.


    उस ईश्वर की वंदना करता हूँ, जो तलवार, छुरा, बाण, बरछा और ढाल का स्वामी है. और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है. जिनके पास पवन वेग से दौड़ने वाले घोड़े हैं.


    2 - औरंगजेब के कुकर्म --


तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त, खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त.


वजा खानए खाम करदी बिना, बराए दरे दौलते खेश रा.


      तूने अपने बाप की मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा, और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी. और अपना आलीशान महल तैयार किया.


    3 - अल्लाह के नाम पर छल --


न दीगर गिरायम बनामे खुदात, कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात.


ब सौगंदे तो एतबारे न मांद, मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद.


        तेरे खु-दा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा, क्योंकि तेरा खु-दा और उसका कलाम झूठे हैं. मुझे उनपर यकीन नहीं है . इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा.


    4 - छोटे बच्चों की हत्या --


चि शुद शिगाले ब मकरो रिया, हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा.


चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार, कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार.


        यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ. अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है. जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा.


5 - मु-सलमानों पर विश्वास नहीं --


मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त, कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.


न कतरा मरा एतबारे बरूस्त, कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त.


कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार, हमा रोजे आखिर शवद खारो जार.


अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम, मारा एतबारे न यक जर्रे दम.


        मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है. तेरी किताब (कु-रान) और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं. जो भी कु-रान पर विश्वास करेगा, वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा. अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए, तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए.


    6 - दुष्टों का अंजाम --


कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह, कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह.


कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त, हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त.


         सिकंदर कहाँ है, और शेरशाह कहाँ है, सब जिन्दा नहीं रहे. कोई भी अमर नहीं हैं, तैमूर, बाबर, हुमायूँ और अकबर कहाँ गए. सब का एकसा अंजाम हुआ.


     7 - गुरूजी की प्रतिज्ञा --


कि हरगिज अजां चार दीवार शूम, निशानी न मानद बरीं पाक बूम.


चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें, जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें.


चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त, हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त.


        हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे. मेरे शेर जब तक जिन्दा रहेंगे, बदला लेते रहेंगे. जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है.


     8 - ईश्वर सत्य के साथ है --


इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद, अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद.


उदू दुश्मनी गर हजार आवरद, न यक मूए ऊरा न जरा आवरद.


       यदि ईश्वर मित्र हो, तो दुश्मन क्या क़र सकेगा, चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले. यदि हजारों शत्रु हों, तो भी वह बल बांका नहीं क़र सकते है. सदा ही धर्म की विजय होती है.


       गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अब भी शांतिप्रिय -- सिखों से उलझाने से कतराते हैं. वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते . इसलिए उनसे दूर ही रहो.


      इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है कि आप लोग गुरु गोविन्द साहिब कि वाणी को आदर पूर्वक पढ़ें, और श्री गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के बच्चों के महान बलिदानों को हमेशा स्मरण रखें. और उनको अपना आदर्श मनाकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो जाएँ. वर्ना यह सेकुलर और जिहा दी एक दिन हिन्दुओं को विलुप्त प्राणी बनाकर मानेंगे.


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