घातक के प्रति कोई प्रतिकार नहीं


🌷घातक के प्रति कोई प्रतिकार नहीं🌷


 


       🌷श्रीकृष्ण ने जब अपनी मृत्यु का समय सन्निकट समझा तब सम्पूर्ण इन्द्रियवृत्तियों का निरोध करके महायोग समाधि का आश्रय लिया। वे पृथिवी पर लेट गये। उसी समय जरा नामक व्याध मृगों को मारकर उस स्थान पर आया। उस समय श्रीकृष्ण योगयुक्त मुद्रा में सो रहे थे। मृगों में आसक्त हुए उस व्याध ने श्रीकृष्ण को भी कोई मृग समझा और अत्यन्त उतावली के साथ बाण मारकर उनके पैर के तलवे में घाव कर दिया। फिर उस मृग को पकड़ने के लिए जब वह निकट आया तब उसने योग में स्थित पीताम्बरधारी और महातेजस्वी श्रीकृष्ण को देखा।अब तो वह जरा नामक व्याध अपने आपको अपराधी मानकर बहुत डर गया। उसने श्रीकृष्ण के चरण पकड़ लिये। तब महात्मा श्रीकृष्ण ने उसे अपराध के लिए क्षमा किया और प्राणों को त्यागकर मोक्ष को प्राप्त किया।


       🌷ऐसा ही स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने रसोइए जगन्नाथ को माफ कर दिया था। जगन्नाथ ने स्वामी दयानंद सरस्वती को दुध में जहर दिया था , स्वामी जी ने उसको पैसे देकर कहा कि जगन्नाथ तूने बहुत बुरा कर्म किया है, अभी मुझे बहुत काम करने थे। यह पैसे लो और यहां से नेपाल भाग जाओ नहीं तो ये भक्तजन तुम्हारे प्राण हर लेंगे।🌷


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