ईश्वर के वैदिक नाम विज्ञानस्वरूप हैं 2
_ 'पुरुष' भी परमात्मा का एक नाम है। यह शब्द 'घृ' धातु से बना है। 'घृ' धातु का अर्थ पूर्ण होता है। पूर्ण अर्थात् सब जगत् में विद्यमान होना मौजू रहना। परमात्मा कण-कण में पूर्ण हो रहा है। इसी कारण उसका नाम 'पुरुष' ... हैयदि एक परमाणु का सूक्ष्म वैधानिक विश्लेषण किया जाए तो पता चलेगा कि एक परमाणु में भी सारे सौरमंडल जैसी स्थितियाँ पाई जाती है। इसी से परमात्मा की शक्ति को कण-कण में होने की बात कही गई है। एक सूक्ष्म अणु . से लेकर बड़े-बड़े पिंड में वही शक्ति समाहित है । इसी कारण उसे सर्वव्यापक कहा गया है। अनंत नाम दिया है। परुष नाम दिया है। परुष नाम परमात्मा के पूर्ण होने का आभास कराता है। हवा दिखलाई नहीं पड़ती किन्तु उसमें भी एक नियम है। आक्सीजन और हाइड्रोजन गैस के मिलने से जल का निर्माण हो जाता है। उक्त गैसे दिखलाई पड़ती हैं क्या ? नहीं। उसमें भी एक नियम है। वह नियामक शक्ति उनमें भी पूर्ण है। अतः 'पुरुष' पूर्णतः वैज्ञानिक अर्थ प्रदान करता है।
इस प्रकार ईश्वर एक-एक नाम कोई न कोई वैज्ञानिक अर्थ अभिव्यक्त करता है जो विज्ञान से संबंधित है। 'ओम्' नाम के बारे में किसी को कोई संदेह नहीं है। योग क्रियाओं में 'ओम्' ध्वनि पर विशेष बल दिया जाता है। ध्यान में 'ओम्' का मानसिक जाप किया जाता हैयह परमात्मा का प्रधान और निज नाम है। सर्वोत्तम नाम है । इसकी ध्वनि से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सुप्रभाव पड़ता है। यह स्व.यं में एक प्राणायाम है। पूर्णतः वैज्ञानिक नाम है। इसके उच्चारण का प्रथ्यक्ष प्रभाव स्वामी रामदेव जी पूरे विश्व में प्रसारित कर रहे हैं। ध्वनिविस्तारक यंत्र से दिन-रात हरे राम, हरे कृष्ण, हरि हरि चिल्लाने वाले ईश्वर के वैज्ञानिक नाम का अर्थ क्या जाने ? आर्यसमाज के अतिरिक्त ईश्वर के नाम का वैज्ञानिक अर्थ और कौन बताता है ? इन नामों की वैज्ञानिकानसमझ पाने के कारण लोगों ने एक-एक नाम से एक-एक भगवान् बना डाले जो विभिन्न मत-मतान्तरों के रूप में जन्म लेकर वैदिक मान्यता को खंडित कर दिए। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने उन्हीं बिगड़े आर्यों को सुधारकर हमारे समक्ष रखा और सत्यार्थ प्रकाश में प्रथम स्थान दिया। लोक कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि ईश्वर के नामों में भी विज्ञान भरा पड़ा है। इसी कारण स्वामी जी ने लिखा है कि ईश्वर का कोई नाम अनर्थक नहीं ... है। आवश्यकता है चिंतन और मनन करने की।