ईसा और मरियम

ईसा और मरियम


ईसाई मत के अनुसार ईसाई मजहब का आरम्भ ईसामसीह से हुआ था जो यहूदी परिवार में पैदा हुए थे। उनका जन्म “बेतलेहम" नामक नगर में हुआ था जो कि आजकल इस्त्राइल अर्थात् इज़राइल देश में है। ईसा की माता का नाम मरियम था। मरियम के पिता का नाम कुरान शरीफ पारा ३ सूरत आलेइम्रान रूकु ४ आयत ३५ में “इमरान" लिखा है। यहाँ कुरान में सूरा आलेइम्रान में लिखा है किदेवी मरियम जकर्याह की संरक्षता में रहती थी। (कुरान मजीद सूरा इम्रान, आयत ३७) इससे अनुमान होता है कि देवी मरियम के पिता का निधन उसकी बाल्यावस्था या माता की गर्भवस्था के समय में ही हो गया था अन्यथा पिता की उपस्थिति में जकर्याह* को संरक्षक न बनाया गया होता। समय बीतने पर मरियम बड़ी हुई और विवाह योग्य उम्र होने पर कुमारी मरियम का विवाह 'यूसुफ' नाम के एक बढ़ई से कर दिया गया। इस सम्बन्ध में बाइबिल के अन्दर लिखा है__ “और याकूब से यूसुफ उत्पन्न हुआ जो मरियम का पति था जिससे 'यीशू' जो मसीह कहलाता है। उत्पन्न हुआ।" (बाइबिल नया विधान, मती १ वाक्य १६) इसमें बहुत स्पष्ट शब्दों में बताया गया है कि ईसामसीह का जन्म पिता यूसुफ से व माता मरियम से हुआ था। इसमें कोई सन्देह की बात नहीं हो सकती है किन्तु ईसा के जन्म को चमत्कारपूर्ण सिद्ध करने के लिये इसी मत्ती की इन्जील अर्थात् बाइबिल में आगे लिखा गया है, देखिये__“अब यीशू मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ कि- जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई तो उनके इकट्ठे होने अर्थात् सुहागरात से पहिले ही मरियम पवित्रात्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। " (बाइबिल नया विधान मती, १ वाक्य १८) यह विवरण सर्वथा गलना, निन्दनीय तथा अमान्य होना चाहिये। क्योंकि इससे देवी मरियम के चरित्र BEFFपर भयंकर कलंक लगता है। विवाह होने से पूर्व कोई भी कँवारी लड़की यदि गर्भवती हो जाती है तो इससे उसके चरित्र पर दोष आता है। विश्व का कोई भी डॉक्टर यह नहीं मान सकता है और न किसी भी समझदार व्यक्ति को यह स्वीकार हो सकता है कि बिना किसी रूप से संयुक्त हुए या बिना वीर्यधाल के किसी भी स्त्री को किसी बालक का गर्भ रह सकता है। गर्भस्थ बालक के शरीर के अवयवों के निर्माण के लिए पिता के शरीर के तत्व का माता के शरीर के तत्व से मिश्रण होने पर ही गर्भ में बालक के शरीर के अंगोपांगों का निर्माण व विकास सम्भव हो सकता है। बिना पुरूष संयोग के किसी-किसी स्त्री को मूढ़ गर्भ का विकास हो जाता है जो कि रक्त या मांस का एक लोथड़ा मात्र ही होता है, वह किसी बालक का शरीर नहीं होता है। 


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