असफलता की सम्भावना को नजरअंदाज न करें.
असफलता की सम्भावना को नजरअंदाज न करें.
असफलता की सम्भावना के लिए भी स्थान रखें हम अपनी योजनाओं में, कार्यक्रमों में, सोच में, तो निराशा नहीं होगी। कुण्ठा नहीं होगी। विचार कर देखिए, हम कोई भी योजना बनाते हैं, कार्यक्रम निश्चित करते हैं तो अक्सर यह मान कर चलते हैं कि हम उसमें सफल ही होंगे। सकारात्मक सोच कोई बुरी बात नहीं है किन्तु व्यवहारिकता के भी कुछ अपने तकाजे होते हैं। वस्तुस्थिति यह है कि किसी भी योजना, कार्यक्रम, उपक्रम की सफलता असफलता विभिन्न परिस्थितियों, कारणों, अवसरों, संयोगों आदि पर निर्भर होती है। कुछ ऐसे बाहरी कारण भी होते हैं जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। चाहते न चाहते थोड़ा बहुत भाग्य का हाथ भी माना जाता है। ऐसे में निश्चित रुप से सफलता की आशा करना ठोस वास्तविकता की कसौटी के अनुरुप नहीं माना जा सकता । सफलता का ऐसा दृढ़ विश्वास असफलता की दिशा में हमें निराशा के गहरे अंधेरे कुएँ में धकेल सकता है।
जीवन को भी एक खेल कहा जाता है। खेल में जीत भी होती है और हार भी। विशुद्ध खेल भावना से खेलने वाला खिलाड़ी हार को भी सामान्य ढंग से, सहज रुप में लेता है। निराश अथवा कुण्ठित नहीं होताअसफलता कोई अनहोनी बात नहीं है। सफलता और असफलता में से हाथ तो कोई एक ही आनी है। ऐसे में असफलता को दरकिनार नजरअंदाज कर देना व्यवहारिक नहीं कहा जा सकता। हम ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं कि हमें हर कार्य में हर बार सफलता ही मिलती जाएगीसंतुलित सोच खिन्नता, निराशा, विषाद से बचाती है, हम यह मान कर चलें कि हमारे प्रयास असफल भी हो सकते तो वास्तव में असफल होने पर हमें वह मानसिक आघात नहीं लगेगा जो ऐसी स्थिति में लगता है। कहते हैं ना फोरवार्ड इज फोरआई अर्थात् पहले से खबरदार जैसे पहले से तैयार।
अपनी सोच में परिवर्तन लाइए, असफलता की सम्भावना को दरकिनार और नजरअंदाज मत कीजिए। उसे भी उसका स्थान दीजिए। बेकार की निराशा से बचिए