अप्रतिम जीवन चरित

 ऋषि जीवन की सामग्री को एकत्र करके उन्होने महर्षि की प्रामाणिक और क्रमबद्ध जीवनी को लिखा।


महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) की अनुसंधानपूर्ण मौलिक जीवनी लेखकों में बंगाल निवासी बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का नाम सम्मिलित है। आपने 10 वर्षों तक देश भर में घूम कर ऋषि जीवन की सामग्री का संग्रह किया था।
बाबू देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय जी के ऋषि के विषय में कहे कुछ प्रभावशाली वचन प्रस्तुत हैं
‘‘यह हैं भारत–दिवाकर दयानन्द, जिन्होंने इस पाप परिपुष्ट युग में जन्म लेकर जीवन भर निष्कण्टक ब्रह्मचर्य का पालन किया, जो विद्या में, वाक्पटुता में, तार्किकता में, शास्त्रदर्शिता में, भारतीय आचार्य मण्डली के बीच में शंकराचार्य के ठीक परवर्ती आसन पर आरूढ़ होने के सर्वथा योग्य थे, वेद निष्ठा में, वेद व्याख्या में, वेद ज्ञान की गम्भीरता में, जिनका नाम व्यासादि महर्षिगण के ठीक नीचे लिखे जाने योग्य था, जो अपने को हिन्दुओं के आदर्श सुधारक पद पर प्रतिष्ठित कर गये हैं, और इस मृत प्रायः आर्यजाति को जागरित करके उठाने के उद्देश्य से मृत संजीवनी औषध के भाण्ड को हाथ में लेकर जिन्होंने भरतखण्ड में चतुर्दिक् परिभ्रमण किया था।”
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