अन्धविश्वासों को छोड़िए: वैज्ञानिक-तार्किक जीवनशैली अपनाइए

आर्न्धविश्वास एक ऐसा विश्वास फड़कना है, जिसका कोई उचित कारण होना नहीं होता है। एक छोटा बच्चाअपने घर परिवार एवं समाज में जिन परम्पराओं, मान्यताओं को बचपन से देखता एवं सुनता आ रहा होता है, वह भी उन्हीं •का अक्षरशः पालन करने लगता है। यह अन्धविश्वास उनके मन-मस्तिष्क में इतना गहरा असर छोड़ देता है कि जीवनभर वह इन अन्धविश्वासों से बाहर नहीं आ पाता। अन्धविश्वास अधिकतर कमज़ोर व्यक्तित्व, कमज़ोर मनोविज्ञान एवं कमज़ोर मानसिकता के लोगों में देखने को मिलता है। जीवन में असफल रहे लोग अधिकतर अन्धविश्वास में विश्वास रखने लगते हैं एवं ऐसा मानते हैं कि इन अन्धविश्वास को मानने एवं इन पर चलने से ही शायद वह सफल हो जाएँ। अन्धविश्वास न केवल अशिक्षित एवं निम्न आय वर्ग के लोगों में देखने को मिलता है, बल्कि यह काफी शिक्षित, विद्वान, बौद्धिक, उच्च आय वर्ग एवं विकसित देशों के लोगों में भी कम या ज्यादा देखने को मिलता है। यह आमतौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी देखने को मिलते हैं। अन्धविश्वास समाज, देश, क्षेत्र, जाति एव धर्म के हिसाब से अलग-अलग तरह के होते हैं। विभिन्न प्रकार के अन्धविश्वास आमतौर पर समाज में देखने को मिलता है, जैसे आँख का फड़कना, घर से बाहर किसी काम से जाते समय किसी व्यक्ति द्वारा छींक देना, बिल्ली का रास्ता काट जाना, 13 तारीख को पड़ने वाला शुक्रवार या 13 नवम्बर को अशुभ मानना, हथेली पर खुजली होना, काली बिल्ली में भूत-प्रेत का वास होना, परीक्षा देने जाने से पहले सफेद वस्तु जैसे दही आदि का सेवन करना, सीधे हाथ पर नीलकंठ नामक चिड़िया का दिखाई देना, सीढ़ी के नीचे से निकलना, मुँह देखने वाले शीशे का टूटना, घोड़े की नाल का मिलना, घर के अन्दर छतरी खोलना, लकड़ी पर दो बार खटखटाना, कन्धे के पीछे नमक फेंकना, मासिक धर्म के दौरान महिला को अपवित्र मानकर उसके मन्दिर में प्रवेश को वर्जित करना, श्राद्ध के दिनों में नया काम शुरू न करना या नए कपड़े न सिलवाना आदि।


       अन्धविश्वास सच्चाई और वास्तविकता से बहुत दूर होते हैं। अन्धविश्वास में व्यक्ति अलौकिक शक्तियों के अस्तित्व में विश्वास रखता है, जो प्रकृति के नियमों की पुष्टि नहीं करता है और न ही ब्रह्माण्ड की वैज्ञानिक समझ रखता है। अन्धविश्वास व्यापक रूप से फैला हुआ है। अलौकिक प्रभाव में तर्कहीन विश्वास होता है। आँख के फड़कने के बारे में लोगों में यह अन्धविश्वास है कि पुरुष की सीधी आँख एवं महिला की उल्टी आँख काफड़कना शुभ होता है। वहीं इसका उल्टा होना अशुभ माना जाता है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, इसे मसल फ्लीकरिंग कहते हैं, इसका कोई कारण अभी तक पता नहीं है एवं न ही इसका कोई उपचार है। आँख का फड़कना स्वतः ही बन्द हो जाता है। घर से बाहर किसी कार्य के लिए जाते समय, किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा छींक देना भी एक अन्धविश्वास है। ऐसा होने पर व्यक्ति वहीं कुछ समय के लिए रुक जाता है एवं घर पर पानी पीकर या कुछ छोटा, मोटा खाकर ही दोबारा निकलता है। बिल्ली का रास्ता काट जाना भी अशुभ माना जाता है। देखा गया है कि अगर बिल्ली किसी रास्ते को पार कर जाती हैं, तब दोनों तरफ के लोग रुककर खड़े हो जाते हैं एवं तब तक खड़े रहते हैं, जब तक कि कोई व्यक्ति या कोई वाहन उस रास्ते को पार न कर जाए। इस कारण कई बार सड़कों पर जाम तक लग जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बिल्ली, शेर के परिवार से सम्बन्धित होती है। शेरचीता एवं इस परिवार के जानवर जब कोई सड़क या रास्ता पार करते हैं, तब रास्ता पार करने के बाद रुककर, पीछे मुड़कर अपने शिकार की तरफ देखते हैं। इसी कारण पुराने समय में लोग जब तक शेर चला नहीं जाता था, तब तक उस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ते थे। कारण तो ये था, लेकिन अब यह अन्धविश्वास बन गया है। तेरह नंबर या तेरह तारीख को अशुभ माना जाता है एवं अगर तेरह तारीख, शुक्रवार के दिन पड़ती है, तो इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है। देखा गया है कि होटल्स में तेरह नंबर का कमरा या तेरहवाँ तल भी नहीं होता है, वहाँ पर बारह के बाद सीधे चौदहवाँ नंबर होता है। यह भी एक प्रकार का अन्धविश्वास है। हाथ की हथेली पर खुजली होना भी अन्धविश्वास से जुड़ा है, जिसके अनुसार पुरुष की सीधी हथेली पर एवं महिला की उल्टी हथेली पर खुजली होने से धन की प्राप्ति होती है, जबकि इसका उल्टा होने पर आर्थिक हानि सम्भव है। हमारे समाज में ऐसा माना जाता है कि बिल्ली में भूत का वास होता है। इसी कारण से लोग काली बिल्ली को अपने घर में नहीं घुसने देते। वहीं समाज के कुछ हिस्सों मे काली बिल्ली को भाग्यशाली भी माना जाता है। इस कारण से लोग काली बिल्ली को घरों मे पालते हैं। लेकिन काली बिल्ली में न भूत का वास होता है और न ही काली बिल्ली अच्छे भाग्य का कारण होती है। यह मात्र एक अन्धविश्वास एवं कपोल कल्पित घटनाओं पर आधारित है। बच्चों के परीक्षा देने जाने से पहले माता-पिता सफेद वस्तु जैसे दही आदि खिलाकर भेजते हैं। यह इस अन्धविश्वास से जुड़ा होता है कि सफेद वस्तु खाकर जाने से परीक्षा बहुत अच्छी होती है एवं नंबर बहुत अच्छे आते हैं। अगर आप कहीं जा रहे हैं एवं रास्ते में नीलकंठ नामक चिड़िया सीधे हाथ की तरफ दिखाई पड़ती है, तो यह अत्यन्त शुभ का द्योतक है। इसके पीछे कहानी यह जुड़ी हुई है कि हम जो भी बात नीलकंठ नामक चिड़िया से कहेंगे, वह बात सीधे भगवान् शिव तक पहुँचा देगी एवं हमारी मनोकामना पूरी होगी।


खड़ी हुई सीढ़ी के नीचे से निकलने को लोग दुर्भाग्य से जोड़ते हैं, जबकि यह केवल एक अन्धविश्वास मात्र ही है। मुँह देखने वाले शीशे का टूटना भी अशुभ माना जाता है एवं इसे घर में रखना भी अशुभ होता है। ऐसा अन्धविश्वास हमारे समाज में काफी प्रचलित है। घोड़े की नाल (घोड़े के पैरों के नीचे लगे लोहे) का मिलना शुभ माना जाता है एवं लोग इस नाल से गोल छल्ला बनवाकर सीधे हाथ के बीच की उँगली में पहनते हैं। एक अन्धविश्वास के अनुसार, घर के अन्दर छाते को खोलना अशुभ माना जाता है। लकड़ी पर चाहे वह लकड़ी का दरवाज़ा हो या कोई अन्य वस्तु, दो बार खटखटाना भी शुभ नहीं माना जाता है। यह भी एक प्रकार का अन्धविश्वास ही है। जब कोई व्यक्ति अच्छे से तैयार होता है एवं किसी को वह बहुत अच्छा, सुन्दर लगता है, तब वह लकड़ी की किसी वस्तु को छूकर टचवुड बोलता है, ताकि उस व्यक्ति को नज़र न लगे, जबकि इसमें अन्धविश्वास के अलावा कोई सच्चाई नहीं होती है। हमारे समाज में दुर्भाग्य को दूर करने के लिए व्यक्ति के कन्धे के पीछे लोग नमक भी फेंकते हैं, जिससे कि उस व्यक्ति का भाग्य जागृत हो जाए, यह कार्य भी अन्धविश्वास की श्रेणी में आता है। जब कोई व्यक्ति छींकता है, तब हम कहते हैं कि भगवान् भला करें या छत्रपति जय नंदी माई। हमारे पूर्वज बताते हैं कि ऐसा इसलिए कहा जाता है कि कहीं छींकने के समय पर शैतान हमारी आत्मा को न ले जाए। यह भी एक प्रकार का अन्धविश्वास ही है। हालांकि, आजकल ज्योतिष को विज्ञान ही कहते हैं, (गणित ज्योतिष विज्ञान है फलित ज्योतिष नहीं-सम्पादक) लेकिन अधिकतर ज्योतिषियों द्वारा बताई गई बात या की गई भविष्यवाणी झूठी ही निकलती है। भूत-प्रेत में विश्वास रखना एक बहुत बड़ा अन्धविश्वास है। आमतौर पर जो लोग भूत से मिलने या भूत के दिखने की बात करते हैं, वे सिर्फ कहानियाँ गढ़ते हैं या फिर किसी मानसिक रोग से पीड़ित होते हैं, जिससे अज़ीबोगरीब चीजें दिखने लगती है या अजीबोगरीब आवाज सुनाई देने लगती है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इसे हैलुसिनेशन' कहते हैं। मासिक धर्म के समय लड़कियों एवं महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित एवं पूजा करना तथा भगवान् की मूर्ति के सामने दीपक, धूपबत्ती या अगरबत्ती जलाना मना होता है, क्योंकि यह माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान महिला अपवित्र हो जाती है, जबकि यह अन्धविश्वास के अलावा कुछ नहीं है, क्योंकि मासिक धर्म एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है जैसे साँस लेना, दिल का धड़कना, भोजन करना, शौच जाना आदि। ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध के दिनों में नए काम की शुरुआत नहीं करते, नया सामान नहीं खरीदते हैं, नए कपड़े नहीं सिलवाते हैं। श्राद्ध के दिनों में हम अपने पितरों को याद करते हैं, उनकी पूजा करते हैं। हमारे परमपूज्य पितृगण हमें इन कार्यों को करने से नहीं रोकते हैं। अतः यह भी एक अन्धविश्वास है। हमारे समाज में बहुत सारे लोग मंगलवार के दिन बाल नहीं कटवाते हैं एवं न ही दाढ़ी बनाते या बनवाते हैं। मंगलवार को भगवान हनुमान जी का दिन माना जाता है। भगवान् हनुमान के शरीर पर बाल अधिकता में पाए जाते हैं। इसी कारण लोग मंगलवार के दिन बाल कटवाने एवं दाढ़ी बनाने से बचते हैं, जबकि यह सही नहीं है। यह एक अंधविश्वास मात्र ही है। अन्धविश्वास से बचने के लिए आवश्यकता है अपने मन, मस्तिष्क, सोच एवं मनोविज्ञान को मज़बूत करने की।


अक्सर लोग, अन्धविश्वासी, सुनी-सुनाई बातों के आधार पर होते हैं। कभी बिल्ली के रास्ता काटने पर उस रास्ते से बाहर जाकर देखिए, आप पर किसी तरह का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसी प्रकार अन्य अन्धविश्वासों पर भी प्रयोग करके देखिए, आप अपने आप इन अन्धविश्वासों से बाहर निकल आएँगे। अगर आपके साथ इन अन्धविश्वासों पर प्रयोग करते समय कोई अनहोनी होती है, तो यह महज एक संयोग ही होगा। इसमें कोई सच्चाई नहीं होगी। अगर आपसे कोई कहता है कि इन अन्धविश्वासों में सच्चाई है, तब आप उससे कहिए कि वह अन्धविश्वासों की सच्चाई को साबित करके दिखाए। अपने अन्धविश्वास से सम्बन्धित विश्वास को छुड़ाना बहुत ही मुश्किल होता है, यह एक कड़वी सच्चाई है । अन्धविश्वास से बचने के लिए हमेशा सकारात्मक बने रहें। मानव मस्तिष्क, विश्वास एवं घटना के बीच बहुत जल्दी सम्बन्ध बना लेता है। अगर कोई व्यक्ति तेरह तारीख के दिन शुक्रवार को खतरनाक मानता है एवं उसी दिन उसके साथ कोई अनहोनी हो जाती है, तब अन्धविश्वास मजबूती के साथ और प्रबल हो जाता है। ऐसा ही अन्य अन्धविश्वासों के साथ भी होता है, जबकि यह मात्र एक संयोग ही है।


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