आर्य' शब्द का अर्थ


🌷'आर्य' शब्द का अर्थ🌷


 


इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुर: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्।
अपघ्नन्तो अराव्ण:।।―(ऋ० ९/६३/५)
भावार्थ―अपने आत्मा को दिव्यगुणों से अलंकृत करते हुए, तत्परता के साथ कार्य करते हुए, शत्रुओं को परे भगाते हुए सम्पूर्ण संसार को आर्य बनाते हुए हम सर्वत्र विचरें।


निरुक्तकार आचार्य यास्क लिखते हैं―


आर्य ईश्वरपुत्र: ।―(नि० ६ । २६ । १)
आर्य का अर्थ है ईश्वर का पुत्र।


श्री अरविन्दुघोष लिखते हैं―
The word Arya expresses a particular ethical and social order of well-governed life, candour, courtesy, nobility, straight dealing, courage, gentleness, purity, humanity, compassion, protection of the weak, liberty, observance of social duties, eagerness for knowledge, respect for the wise and the learned and the social accomplishment. There is no word in human speech that has a nobler history. ―(Arya Vol. I P. 63)


'आर्य' शब्द में उदारता, नम्रता, श्रेष्ठता, सरलता, साहस, पवित्रता, दया, निर्बल-संरक्षण, ज्ञान के लिए उत्सुकता, सामाजिक कर्त्तव्य-पालन आदि सब उत्तम गुणों का समावेश हो जाता है। मानवीय भाषा में इससे उत्तम और कोई शब्द नहीं है।


अत: 'आर्य' शब्द श्रेष्ठता का सूचक है। जिस व्यक्ति में सभी अच्छे गुण पाये जायें वह आर्य है। आर्य का अर्थ है―श्रेष्ठ। 
'आर्य' शब्द किसी जाति, मजहब या मत का सूचक नहीं।


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