आज का वैदिक भजन

🙏आज का वैदिक भजन🙏


मगन मन मोरा
प्रभु गीत गाये
सुर को सजाये


भोर भई गई के रैना 
पक्षीगण गायें महिमा
तरुबाँही शीश झुकाये 
नदिया भी चाहे बहना
धरती संग गाए बरखा
पर्वत सँग पवन


सागर से व्योम मण्डल तक
नाद ब्रह्म का है गुन्जन
योगी ऋषि मुनि हैं पाते 
दिव्यरूप तेरा दर्शन
जल वायु अग्नि पृथिवि 
गाये दूर गगन


मङ्गल मय प्रेम स्वरों से
जागे मेरा अन्तर्मन
शाश्वत स्वरों की मधुमय 
पाऊँ हृदय में कम्पन
नित तेरा करता रहूँ मैं 
चिन्तन और मनन


रचनाकार :- श्री ललित सहानी जी
स्वर :- श्री ललित सहानी जी - मुम्बई


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