मुण्डकोपनिषद्

मुण्डकोपनिषद्


12. अपरा विद्या (sciencetific knowledge) में वेद, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरूक्त, छंद और ज्योतिष का ज्ञान आता है और परा विद्या (spiritual knowledge) में अक्षर ब्रह्म का ज्ञान या अध्यात्म विद्या आती है।


13. जो व्यक्ति को सुषुप्ति में शरीर और आत्मा के संबंध के टूटने से आनन्द की अनुभूति होती है। वह तो निषेधात्मक आनन्द (Negative Bliss) है। परन्तु जब आत्मा शरीर में रहता हुआ शरीर से अलग होकर परमात्मा के साथ संबंध स्थापित करता है तो उससे निश्चयात्मक आनन्द (Positive Bliss) की अनुभूति होती है। यही ब्रह्मानन्द है।


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।