शुभकामना
शुभकामना
सबकी नसों में पूर्वजों का पुण्य रक्त प्रवाह हो,
गुण, शील, साहस, बल तथा सबमें भरा उत्साह हो।
सबके हृदय में सर्वदा समवेदना की दाह हो,
हमको तुम्हारी चाह हो, तुमको हमारी चाह हो॥
विद्या, कला, कौशल्य में सबका अटल अनुराग हो,
उद्योग का उन्माद हो, आलस्य-अघ का त्याग हो।
सुख और दुख में एक-सा सब भाइयों का भाग हो,
अन्तःकरण में गूंजता राष्ट्रीयता का राग हो॥
कठिनाइयों के मध्य अध्यवसाय का उन्मेष हो,
जीवन सरल हो, तन सबल हो, मन विमल सविशेष हो,
छूटे कदापि न सत्य-पथ निज देश हो कि विदेश हो,
अखिलेश का आदेश हो जो बस वही उद्देश्य हो
आत्मावलम्बन ही हमारी मनुजता का मर्म हो,
षड्रिपु-समर के हित सतत चारित्र्यरूपी वर्म हो।
भीतर अलौकिक भाव हो बाहर जगत का कर्म हो,
प्रभु-भक्ति, पर-हित और निश्चल नीति ही ध्रुव धर्म हो।
उपलक्ष्य के पीछे कभी विगलित न जीवन-लक्ष्य हो,
जब तक रहे ये प्राण तन में पुण्य का ही पक्ष हो।
कर्त्तव्य एक न एक पावन दिव्य नेत्र-समक्ष हो,
सम्पत्ति और विपत्ति में विचलित कदापि न वक्ष हो।
उस वेद के उपदेश का सर्वत्र ही प्रस्ताव हो,
सौहार्द और मतैक्य हो, अविरुद्ध मन का भाव हो।
सब इष्ट फल पावें परस्पर प्रेम रखकर सर्वथा,
निज यज्ञ-भाग समानता से देव लेते हैं यथा॥