3. ईसा और मरियम 2

(बाइबिल नया विशन, लूका, १ नाक्य २६, २७, ३०, ३१, ३४, ३५, ३८)


यह कहानी निश्चित रूप से बाद को गढ़ी गई है। फरिश्ते या जिन्नों का कोई अस्तित्व विश्व में कहीं नहीं है। पुराने अन्धविश्वासी लोगों की यह सब मिथ्या माचतायें थीं उसी आधार पर लूका ने ईसा को कुँबारी से उत्पन्न होने वाला सिद्ध करने के लिए यह कथा गढ़ी थी। वह कथा भी देवी मरियम के पवित्र चरित्र पर कलंक लगाती है। यदि देवी मरियम कँवारी कन्या थी और सदाचारिणी थी तो उसे कुँवारेपन में फरिश्ते से गर्भ रहने की बात सुनते ही ग्रिब्रिएल करिश्ते के मुंह पर कस कर जूते मारना चाहिए था कोई भी सच्चरित्र कुँआरी कन्या यह शब्द बर्दास्त नहीं कर सकती है कि कोई उससे कहे कितेरे लड़का पैदा होगा, इत्यादि। ऐसे गन्दे वाक्यों को सुनना भी किसी ऊँचे चरित्र वाली कुंवारी लड़की के लिए बड़ी शर्म की बात होती है। किन्तु इम देखले हैं कि देवी सरियम को इन बातों को सुनकर कोई लज्जा या संकोच नहीं हुआ बल्कि उत्तने प्रसन्न होकर कारेशो ने कहा कि- "मुझे ऐसा ही हो।' अर्धात उसने पवित्रामा से गर्भ धारण करना प्रसन्नता पदक, प्वीकार कर लिया। उार्थ भी किसी के आणीपोटमाटुआगे नहीं था बल्कि पब्रिक्ला कृरियो नखलेशन में बना दिया कि"और देखतू यार्भवती होगी ॥३२॥ अपवित्र आत्मा तुझ पर उत्तरेगा ।


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