योगासन की विशेषता
योगासन की विशेषता
संसार में जितने प्राणी प्रभु ने पैदा किये-चाहे पशु अथवा पक्षो, या वृक्ष, सब आसन कर रहे हैं। मानवशिशु भी आसन लगाए हुए होता है-मातृगर्भ में। ८४ लाख योनियां कहलाती हैं । ८४ आसन हैं । पशु-पक्षीवृक्ष आदि बहुत कम ही रोगी होते हैं। उनका प्राकृतिक आसन रोगों के दूर करने का, लगा हुआ है। मनुष्य भी आसन करता रहे-तो नोरोग रहे। व्यायाम अनेक प्रकार के हैं-कई तमोगुणो, कई रजोगुणी और कई सतोगुणी । कबड्डी आदि भी शरीर को नीरोग बनाते हैंपरन्तु उनमें जीत-हार और मारने की वृत्ति होती है वे इसोलिए तमोगुणी हैं फुटबाल, वाली-वालटैनिस आदि भी व्यायाम हैं-परन्तु रजोगुणी हैं । वे मनुष्य के मस्तिष्क में रजोगुण पैदा करते हैं। परन्तु योग के पासन-जिनका नाम ही योगासन रखा गया हैवे सतोगुणी हैं और वे प्रभु के मिलाप में सहयोग देते हैं । अत: आसन सर्वोत्तम व्यायाम हैं।