यदि देव-दयानन्द न आते
यदि देव-दयानन्द न आते
अज्ञान, पाखण्ड के अन्धकार से, हो रहा देश बर्बाद था
यदि देव दयानन्द न आते, तो न होता देश आजाद था॥
राम, कृष्ण की इस पावन भूमि में लग गई अनेकों बिमारी थी।
सीता, सावित्री, गार्गी को न पढ़ाने से रखी जाती भीतर चार दीवारी थी॥
तेरह वर्ष की कन्या, अस्सी वर्ष के बूढ़े से विवाह की हो जाती तैयारी थी
जल्दी ही विधवा हो जाने से बाकी उम्र काटनी हो जाती बडी भारी थी॥
घर में इज्जत न होने से, नारकीय जीवन जीने की हो जाती उसे लाचारी थी।
नारी ही क्यों शूद्र भाईयों को प्रेम की जगह घृणा-द्वेष की चोट जाती मारी थी॥
जिससे दु:खित होकर, वे अपने ही भाई विधर्मी बनने तक की कर लेते तैयारी थी।
घटते जाते थे हमारे हिन्दू भाई समाप्त हो जाने की आ रही जल्दी ही बारी थी॥
ऋषि दयानन्द ने आकर किया इलाज शुद्धि दवा से उस फोड़े का जिसमें पड़ गया मवाद था।
यदि देव दयानन्द न आते.....॥१॥
हमारी वैदिक संस्कृति में गाय, गायत्री, ब्राह्मण की इज्जत होती सबसे न्यारी थी।
गऊ माता की तो बात न पूछो, उसके ऊपर तो चल रही जालिम की तेज कटारी थी॥
वेदों का पठन-पाठन बहुत वर्षों से बंद होने से, गायत्री माता भी फिर रही मारी-मारी थी।
ब्राह्मण वैदिक मार्ग छोड़ स्वार्थी हो गये, कर दी अनेकों अवैदिक प्रथाएँ जारी थी॥
स्वार्थ सिद्धि मुख्य ध्येय हो गया, लगा दी पेट भरने में ही अपनी बुद्धि सारी थी।
मूर्तिपूजा, मृतक-श्राद्ध तो थे ही, कई देवी-देवताओं की कथा पढ़ी जाने लगी न्यारी थी॥
वैदिक आधार पंच महायज्ञों, वर्ण-आश्रमों, संस्कारों की हालत होती जा रही अति माड़ी थी
ऐसे में देव दयानन्द आये किया वेदों का प्रचार, तब से वेदों को किया जाने लगा याद था॥
यदि देव दयानन्द न आते.....॥२॥
वेदों के प्रचार से अज्ञान, अन्धविश्वास व पाखण्ड का अन्धेरा दूर भाग गया
इस वैदिक ज्ञान के दिव्य प्रकाश से केवल भारत ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व जाग गया॥
अज्ञान, अन्धविश्वास व पाखण्ड प्रायः नष्ट हो जाने से मानो जल रोशनी का चिराग गया।
जिससे आई नवजागृति, तब कुटिल अंग्रेज १५ अगस्त १९४७ को भारत छोड़ भाग गया॥
लेकिन जाते-जाते बनाकर पाकिस्तान, लगाकर हिन्दू-मुस्लिम में झगड़ा, लगा देश में आग गया।।
भारत की छाती पर मूंग दलने के लिये पाकिस्तान रूपी छोड़ जहरीला नाग गया॥
आज सैनिक शक्ति व मोदी जी के कुशल प्रशासन से पाक समेत सभी विदेशों से भय भाग गया।
अब जल्दी ही "खुशहाल" देखना चाहता है भारत को वैसा ही जैसा वैदिक काल में उन्नत व आबाद था॥
यदि देव दयानन्द न आते.....॥३॥