विवेक

विवेक



      ७. मोटर-गाड़ी दौड़ी आरही है। एक उन्मत्त (पागल) आगे बेपरवाही से चल रहा है। ड्राइवर हार्न ( Horn ) देता है-वह सुनता ही नहीं। उसे पता ही नहीं । मोटर निकट पहुंच गई । ड्राइवर ने ब्रेक लगाया और मोटर खड़ी हो गई। उन्मत्त की जान बच गई। यदि ब्रेक न होती-तो वह (बेपरवाह) कुचला जाता। ऐसे ही संसार के उन्मत्त (विषयों में मस्त) बेपरवाह मनुष्यों को भी यदि बचा सकती है तो उस नेता ही शक्ति, जिसके पास विवेक है । विवेक मनुष्य के मस्तिष्क रूपी इंजन की ब्रेक है।


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