वीर्य-सन्तान और मत्र सन्तान

वीर्य-सन्तान और मत्र सन्तान



      जो बच्चे वीर्य से पैदा किये जाते हैं, वीर्य (सुरक्षित धन) दान देकर, वही वीर बनते और वीरता के काम करते और वीर-सच्चे वीर कहलाते और पुकारे जाते हैं । सामान्य बच्चे तो आजकल मूत्र से पैदा होते हैंअर्थात् जो लोग वीर्य को मूत्र की भांति बहानेवाले हैं, उनके बच्चे संसार में मूत्र ही होते हैं । जैसे मूत्र मल समझा जाकर फेंका जाता है, ऐसे वह सन्तान भी व्यर्थ फैंकने की सी बनती है।


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।